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सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तय करेगा दिशानिर्देश

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नई दिल्ली(एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि न्यायालय द्वारा सरकारी अधिकारियों को तलब किए जाने को लेकर दिशानिर्देश तैयार किया जाएगा। वहीं सरकार ने भी अधिकारियों को तलब करने को लेकर एक एसओपी पेश किया। पीठ ने कहा कि हम सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए कुछ दिशानिर्देश तय करेंगे। लंबित मामलों और उन मामलों का विभाजन होना चाहिए जिनमें निर्णय पूरा हो गया है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि बकाया केसेज और अंतिम निर्णय में अवमानना के मामलों से निपटने के लिए अलग नियम होने चाहिए। कार्यवाही के दौरान पीठ ने कहा कि हम सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए कुछ दिशानिर्देश तय करेंगे। लंबित मामलों और उन मामलों का विभाजन होना चाहिए, जिनमें निर्णय पूरा हो गया है। लंबित मामलों के लिए, अधिकारियों को बुलाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन एक बार जब निर्णय पूरा हो जाता है तो अवमानना शुरू हो जाती है।

बेंच ने कहा कि हम सरकारी अफसरों को समन के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट अदालत की अवमानना के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दो सरकारी अधिकारियों को तलब करने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने 20 अप्रैल को उत्तर प्रदेश वित्त विभाग के दो सचिवों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था, जिन्हें अवमानना मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर हिरासत में लिया गया था।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने तत्काल सुनवाई के लिए अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा एक अभूतपूर्व आदेश पारित किया गया, जिसके द्वारा वित्त सचिव और विशेष सचिव (वित्त) को सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सुविधाओं से संबंधित एक अवमानना मामले में हिरासत में ले लिया गया।

केएम नटराज ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव को जमानती वारंट भी जारी किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चार अप्रैल को कहा था कि अदालत में मौजूद अधिकारियों- यूपी के सचिव (वित्त) शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में ले लिया गया और आरोप तय करने के लिए अदालत में उन्हें पेश किया जाएगा।

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