नई दिल्ली। हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के आए फैसले पर कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। इस फैसले के खिलाफ आज कर्नाटक के कई शहरों में बाजारों को बंद रखा गया है और शांतिपूर्ण विरोध किया जा रहा है। दरअसल कर्नाटक हाइकोर्ट के हिजाब विवाद पर आए फैसले के बाद अमीर ए शरिया की ओर से आज बंद का एलान किया है। जिसका असर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में दिखा रहा है और कई बड़े बाजारों को बंद रखा गया है। बेंगलुरु के शिवाजी नगर में विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है।
हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट जाने वाली छात्राओं को भारतीय जनता पार्टी के नेता यशपाल सुवर्ण ने ‘आतंकी संगठन’ का सदस्य बताया है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए है कि छात्राओं ने आतंकी संगठन से ट्रेनिंग हासिल की है। इस दौरान सुवर्ण ने एजेंसियों से छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।
भाजपा नेता ने कहा कि लड़कियों का मकसद शिक्षा नीति को बर्बाद करना और दूसरे छात्रों को तंग करना था। सुवर्ण ने सवाल किया, ‘जब ये लड़कियां जजों को फैसले को राजनीति से प्रेरित और कानून के खिलाफ बता रही हैं, तो हम इनसे क्या उम्मीद करेंगे?’ भाजपा नेता ने कहा, ‘उन्होंने केवल यह दिखा दिया है कि वे राष्ट्र-विरोधी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमें यह भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा, जो पूरे देश के लिए फायदेमंद होगा।’
रसेल मार्केट, शिवाजीनगर के महासचिव ने निजी चैनल से बात करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है। महासचिव चौधरी ने बाजार बंद करने पर हो रहे नुकसान पर कहा, नुकसान की बात नहीं है, दिल को नुकसान हो रहा है। कोर्ट के फैसले से नाराज हैं। बच्चों का क्या कसूर हैं। हमने शांतिपूर्वक बंद किया है। जो कि आज पूरे दिन के लिए है लेकिन ऐसे ही नाइंसाफी होती रही और इंसाफ नहीं मिला तो हम बंद जारी रखेंगे।
हाल ही में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। यूनिफॉर्म पहनने से विद्यार्थी इनकार नहीं कर सकते। यूनिफॉर्म मौलिक अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज कर दी थी।
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को स्कूलों-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके खिलाफ कर्नाटक के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए थे. बाद में ये मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। जहां कोर्ट ने 10 फरवरी को शैक्षणिक संस्थानों में सभी तरह के धार्मिक वेशभूषा पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में हिजाब पहनने वाली छात्राओं और शिक्षिकाओं को स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। .वहीं अब हाईकोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुना दिया है।