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SCO शिखर सम्मेलन में बोले PM मोदी भारत की अर्थव्यवस्था में 7.5% का होगा इजाफा

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SCO Summit 2022: SCO शिखर सम्मेलन में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव से मुलाकात की। PM नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग को संबोधित करते हुए सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे एक-दूसरे को आगे बढ़ने के लिए रास्ता दें। व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि हमें इस पर विचार करना चाहिए कि कैसे कारोबार और संपर्क को बढ़ा सकते हैं। बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘हम स्टार्टअप्स और इनोवेशन पर एक स्पेशल वर्किंग ग्रुप की स्थापना करके SCO के सदस्य देशों के साथ अपना अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं।’

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा संकट से निपटने के लिए लचीली आपूर्ति शृंखला की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर इस साल 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी। हम भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने पर प्रगति कर रहे हैं। भारत का युवा और प्रतिभाशाली वर्कफोर्स हमें स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाता है।  हमारे जन केंद्रित विकास मॉडल में टेक्नोलॉजी के उचित उपयोग पर भी बहुत फोकस दिया जा रहा है। हम प्रत्येक सेक्टर में इनोवेशन का समर्थन कर रहे हैं। आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्ट-अप्स हैं, जिनमे से 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। हमारा यह अनुभव कई अन्य SCO सदस्यों के भी काम आ सकता है। इसी उदेश्य से हम एक नए स्टार्टअप्स और इनोवेशन पर विशेष कार्य समूह की स्थापना करके SCO के सदस्य देशों के साथ अपना अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं।

 

आज जब पूरा विश्व महामारी के बाद आर्थिक रिकवरी की चुनौतियों का सामना कर रहा है, SCO की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। SCO के सदस्य देश वैश्विक GDP में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं, और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी SCO देशों में निवास करती है। भारत SCO सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है। महामारी और यूक्रेन के संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन्स में कई बाधाएं उत्पन्न हुईं, जिसके कारण पूरा विश्व अभूतपूर्व ऊर्जा एवं खाद्य संकट का सामना कर रहा है। SCO को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त, रेसिलिएंट और विविध सप्लाई चेन्स विकसित करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता तो होगी ही, साथ ही यह भी महत्वपूर्ण होगा कि हम सभी एक दूसरे को ट्रांसिट का पूरा अधिकार दें। 

 

 

विश्व आज एक और बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है – और यह है हमारे नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना। इस समस्या का एक संभावित समाधान है माइल्ट्स की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना। मिल्लेट्स एक ऐसा सुपरफूड है, जो न सिर्फ SCO देशों में, बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है, और खाद्य संकट से निपटने के लिए एक पारंपरिक, पोषक और कम लागत वाला विकल्प है। वर्ष 2023 को UN International Year of Millets के रूप में मनाया जाएगा। हमें SCO के अंतर्गत एक ‘मिलेट फ़ूड फेस्टिवल’ के आयोजन पर विचार करना चाहिए। 

 

भारत आज विश्व में चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए सबसे किफायती गंतव्यों में से एक है। अप्रैल 2022 में गुजरात में WHO Global Centre for Traditional Medicine का उद्घाटन किया गया। पारंपरिक चिकित्सा के लिए यह WHO का पहला और एकमात्र ग्लोबल सेंटर होगा। हमें SCO देशों के बीच ट्रेडिशनल मेडिसिन पर सहयोग बढ़ाना चाहिए। इसके लिए भारत एक नए पारंपरिक चिकित्सा पर एSCO वर्किंग ग्रुप पर पहल लेगा।

पूर्वी लद्दाख में करीब 28 महीने पहले भारत एवं चीन के बीच सीमा पर गतिरोध की स्थिति पैदा होने के बाद से मोदी और शी ने पहली बार उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में मुलाकात की। बहरहाल, अभी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है कि शिखर सम्मेलन के इतर मोदी और शी के बीच क्या कोई द्विपक्षीय बैठक होगी। 

 

इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और मध्य एशियाई देशों के अन्य नेता भी भाग ले रहे हैं। आठ देशों के इस प्रभावशाली समूह का शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन पर रूस के हमले और ताइवान जलडमरूमध्य में चीन के आक्रामक सैन्य रुख के कारण भू-राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। शिखर सम्मेलन के सीमित प्रारूप के दौरान विचार-विमर्श से पहले, समूह के स्थायी सदस्यों के नेताओं ने एक साथ तस्वीर खिंचवाई।

 

शिखर सम्मेलन के बाद मोदी के कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी करने का कार्यक्रम है। वह पुतिन, मिर्जियोयेव और रईसी से मुलाकात करेंगे। मोदी करीब 24 घंटे के दौरे पर बृहस्पतिवार की रात यहां पहुंचे थे। मोदी ने समरकंद रवाना होने से पहले एक बयान जारी कर कहा, ”मैं एससीओ शिखर सम्मेलन में सामयिक, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने, एससीओ के विस्तार और संगठन के भीतर बहुआयामी और परस्पर लाभकारी सहयोग को और गहरा करने को लेकर उत्सुक हूं।” 

 

उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान की अध्यक्षता में व्यापार, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्रों में आपसी सहयोग के लिए कई फैसले लिए जाने की उम्मीद है। कोविड-19 के कारण दो साल बाद एससीओ का ऐसा शिखर सम्मेलन हो रहा है, जिसमें नेता व्यक्तिगत रूप से मौजूद हैं। समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन दो सत्र में होगा। एक सीमित सत्र होगा, जो केवल एससीओ के सदस्य देशों के लिए है और इसके बाद एक विस्तारित सत्र होगा, जिसमें पर्यवेक्षक देश और अध्यक्ष देश की ओर से विशेष रूप से आमंत्रित देशों के नेताओं की भागीदारी की संभावना है। 

 

SCO की शुरुआत जून 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे। एससीओ सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। समरकंद शिखर सम्मेलन में ईरान को एससीओ के स्थायी सदस्य का दर्जा दिए जाने की संभावना है। 

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