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ग्वालियर नगर निगम में 18 करोड़ का घोटाला, 7 इंजीनियर सहित 74 पर FIR

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– मृत कर्मचारियों का पैसा खा गए अफसर 

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले के नगर निगम में  PHE घोटाला में रोज नये खुलासे हो रहे हैं। अब तक 50 दिन की जांच में 74 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है। ये कुल 18 करोड़ का घोटाला है। इसमें 7 एक्जीक्युटिव इंजीनियर भी आरोपी हैं।

ग्वालियर के PHE घोटाले में क्राइमब्रांच ने 50 दिन की जांच के बाद 74 लोगों पर FIR की है। नगर निगम की PHE शाखा में 5 साल के दरमियान 71 खातों में करीब 18 करोड़ रुपए का भुगतान फर्जी तरीके से हुआ था। घोटाला पकड़ में आने के बाद 27 जुलाई को PHE विभाग ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में तत्कालीन 7 अफसरों को भी आरोपी बनाया गया है।

एसपी का कहना है कि इस केस में पता चला है कि लगभग  25 मृत कर्मचारियों के नाम से यह राशि निकाली गई है। यानी उन्हें विभाग के  रिकार्ड में जीवित रखा गया। फर्जीवाड़ा करने के लिए बाकायदा उनकी हाजिरी लगाई गई, उन्हें ड्यूटी पर दर्शाया गया और उनके नाम से वेतन-भत्ते इन खातों में जाते रहे। ऐसे कई कर्मचारी हैं, जिनके मृत होने के बाद भी उनके नाम से वेतन निकलता रहा। अब इस संबंध में विभाग से जानकारी मांगी जा रही है कि कितने कर्मचारी पिछले 5 साल में मृत हुए हैं।

18 करोड़ 92 लाख का घोटाला

ग्वालियर नगर निगम के PHE घोटाले में जांच के दौरान नए खुलासे हो रहे हैं। यहां फर्जी खातों में वेतन-एरियर के 16 करोड़ 42 लाख रुपये का भुगतान किया गया। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि मृत कर्मचारियों का नाम इस्तेमाल किया गया है। जांच में कुल 18 करोड़ 92 लाख रुपए का गलत खातों में भुगतान होने का खुलासा हुआ है। इसके बाद कलेक्टर की मंजूरी मिलते ही गुरुवार रात कोषालय के वरिष्ठ अफसरों के दखल पर FIR दर्ज कराई गई। कुल 71 खातों में गलत भुगतान हुआ है। इनके खातेदारों की संख्या 65 है।

7 एक्जीक्युटिव इंजीनियर आरोपी

मुख्यालय ने 71 खातों में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 853 रुपए की गड़बड़ी पकड़ते हुए जांच के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट में 2 अगस्त 2018 से लेकर जांच होने तक 7 कार्यपालन यंत्री तैनात थे। इन सभी को आरोपी बनाया गया है। इन कार्यपालन यंत्रियों में आरएन करहिया, अनूप चौधरी, वी के छारी, जागेश श्रीवास्तव, एमके उमरैया, राकेश राहोरा, संजय सिंह सोलंकी का नाम शामिल है। इसके अलावा कर्मचारी अशोक कचौरिया और हीरालाल के साथ 65 अन्य खातेदारों के नाम भी FIR में शामिल किए गए हैं।

इस तरह से हुआ था घोटाला

-मृत और लापता कर्मचारियों के एम्पलाई कोड में बैंक डिटेल बदलकर फर्जी खातों में पैसा डाला।

-मई 2017 से अगस्त 2018 तक वेतन एफवीसी प्रकार से भुगतान के बावजूद कई कर्मचारियों के वेतन उनके एम्प्लाई कोड में खाता बदलकर भुगतान।

-कोर्ट केस एरियर के नाम से कर्मचारियों के नाम और खाते बदले गए. कई को 5 बार तक भुगतान हुआ।

-अभिभाषक फीस के नाम पर भी कुछ संदिग्ध खातों में भुगतान हुआ।

-सबसे बड़ा कारण डीडीओ ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर एम्प्लाई कोड में नाम और बैंक खाते बदले।

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