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रेलवे में अक्षम और रिश्वतखोर अधिकारियों की छंटनी जारी, नियम 56 (जे) के तहत अब तक 139 पर कार्रवाई

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नई दिल्ली। मोदी सरकार रेलवे के अफसरों और कर्मचारियों की कार्यशैली में बदलाव के लिए पूरे प्रयास कर रही है। विभाग में लापरवाही और भ्रष्‍टाचार को क‍िसी कीमत पर बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। यही कारण है क‍ि रेलवे ने पिछले 16 महीनों में हर तीन दिन में एक अक्षम या भ्रष्ट अधिकारी’ की छंटनी की है। अधिकारियों ने कहा कि अब तक 139 अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 38 को सेवा से हटाया गया। सूत्रों ने कहा कि दो वरिष्ठ ग्रेड अधिकारियों को बुधवार को बर्खास्त कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि उनमें से एक को CBI ने हैदराबाद में 5 लाख रुपये की रिश्वत के साथ पकड़ा था, जबकि दूसरे को 3 लाख रुपये की रिश्‍वत के साथ रांची में पकड़ा था। एक अधिकारी ने कहा क‍ि रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव काम करने की क्षमता या बरबाद होने के अपने संदेश के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। यही कारण है क‍ि हर तीन दिन में हमने जुलाई 2021 से रेलवे के एक भ्रष्ट अधिकारी को बाहर कर दिया है।

एक अधिकारी ने बताया, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का प्रदर्शन को लेकर स्पष्ट संदेश है। रेलवे ने कार्मिक और प्रशिक्षण सेवा नियमों के नियम 56 (जे) का आह्वान किया है, जो कहता है कि एक सरकारी कर्मचारी को कम से कम 3 महीने का नोटिस या समान अवधि के लिए भुगतान करने के बाद सेवानिवृत्त या बर्खास्त किया जा सकता है। यह कदम काम नहीं करने वालों को बाहर निकालने के केंद्र के प्रयासों का हिस्सा है। अश्विनी वैष्णव ने जुलाई 2021 में रेल मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अधिकारियों को बार-बार चेतावनी दी है कि अगर वे प्रदर्शन नहीं करते हैं तो वीआरएस लेकर घर बैठें।

यह कार्रवाई काम न करने वाले अधिकारियों को  बाहर निकालने के केंद्र के प्रयासों का हिस्सा है। जुलाई 2021 में रेल मंत्री के रूप में अश्विनी वैष्णव ने कार्यभार संभालने के बाद अधिकारियों को बार-बार चेतावनी दी है कि अगर वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं तो वीआरएस लें और घर बैठें। 

मौलिक नियमों और CCS (पेंशन) नियम, 1972 में समयपूर्व सेवानिवृत्ति से संबंधित प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकारी को एफआर 56 (J), एफआर 56 (L) या नियम 48 (1) के तहत सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है। यदि जनहित में ऐसा करना आवश्यक हो तो (B) सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 जैसा भी मामला हो। हालांकि, 139 में से कई अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने पदोन्नति से वंचित होने या छुट्टी पर भेजे जाने पर अपना इस्तीफा दे दिया और वीआरएस का विकल्प चुनने का फैसला किया। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे भी मामले हैं, जहां उन्हें सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने के लिए मजबूर करने के लिए परिस्थितियां बनाई गईं।

जिन लोगों को वीआरएस लेने के लिए मजबूर किया गया या बर्खास्त किया गया है, उनमें इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग, मेडिकल और सिविल सेवाओं के अधिकारी, स्टोर, यातायात और यात्रिक विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। VRS के तहत एक कर्मचारी को सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए दो महीने के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है। 

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