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कोर्ट में पेश सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट हुई सार्वजानिक,ज्ञानवापी मस्जिद का खुला राज़

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मूल प्रश्‍न अनुत्‍तरित है कि क्‍या यह सर्वे, पूजास्‍थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act of 1991) का उल्‍लंघन करता है।

वाराणसी। कोर्ट में पेश सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट सार्वजानिक हो गयी है। ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्‍मांकन की एक रिपोर्ट आज कोर्ट में पेश की गई। मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद परिसर के अंदर मूर्तियां होने का दावा करते हुए इनकी पूजा की इजाजत देने का आग्रह किया था। सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से साझा की गई है और यह याचिकाकर्ताओं के मस्जिद में हिंदू मूर्तियों की मौजूदगी के सबूत के दावों का समर्थन करती प्रतीत होती है।
सूत्रों के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक चले सर्वे के बाद जो रिपोर्ट में गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट में सौंपी गई है, उसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की ओर से दी गई रिपोर्ट में हिंदू आस्था से जुड़े कई निशान और साक्ष्य मिलने की बात कही गई है। उन्होंने जहां शिवलिंगनुमा पत्थर को लेकर विस्तृत जानकारी दी है तो जगह-जगह स्वास्तिक, त्रिशूल और कमल जैसी कलाकृतियां मिलने की बात कही गई है।

त्रिशूल और पान के चिन्ह
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं। इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं। ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं।

मस्जिद के दक्षिणी और तीसरे गुंबद में फूल, पत्ती और कमल के फूल की आकृति मिली है। तीनों बाहरी गुंबद के नीचे पाई गई तीन शंकुकार शिखरनुमा आकृतियों को वादी पक्ष द्वारा प्राचीन मंदिर की ऊपर के शिखर बताए गए जिसे प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता द्वारा गलत कहा गया। मुस्लिम पक्ष की सहमति से मस्जिद के अंदर मुआयना किया गया तो वहां दीवार पर स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई पाई गई और बगल में स्वास्तिक की आकृति आलमारी जिसे मुस्लिम पक्ष द्वारा ताखा कहा गया, में खुदी हुई पाई गई। मस्जिद के अंदर पश्चिमी दीवार में वैसी ही और हाथी के सूंडनुमा आकृति का भी चिह्न है।

किताब में दिखाए गए नक्शे से मिलान

वादी के अधिकवक्ता हरिशंकर जैनन और विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी की ओर से ध्यान आकृष्ट किया गया कि History of Banaras by Prof. AS Altekar और जेम्स प्रिन्सेप द्वारा लिखी किताब View of Banaras में जिक्र है। , उसमें छपे पुराने विश्वेश्वर मंदिर के ग्राउंड प्लान से पूरी तरह मिलता हुआ नक्शा जो उपरोक्त दोनों किताबों में दर्शाया गया है, वहीं मुख्य गुंबद के नीचे है जहां नमाज अता होती है। इस नक्शे की फोटोकॉपी उनके द्वारा मौके पर दी गई। उनके द्वारा इंगित किया गया है कि मुख्य गुंबद के नीचे चारों दिशाओं में दीवारों पर जिग-जैग कट बने हुए हैं जो उतनी ही संख्या में है व शेप में है, जैसा किताब के नक्शे में है। इसी तरह से दो दिशा उत्तर-दक्षिण के गुंबदों के नीचे नमाज अदा करने के स्थल की दीवारों के जिग-जैग कटकी शेप और संख्या उस नक्शे से मिलती है और इन्हीं में कुछ मूल मंडप भी स्थित है। मस्जिद के मध्य नमाज हॉल और उत्तर-दक्षिण के हॉल के मध्य जो दरवाजानुमा आर्क बना है उसकी इन्हीं जिग-जैग दीवारों पर खंभों पर ऊपर टिकी हुई है। इसका विरोध प्रतिवादी संख्या 4 ने किया और सब बातों को काल्पनिक बताया। फोटोकॉपी नक्शे से दीवारों की शेप का मिलान करने पर पाया गया कि इन दोनों में पूरी समानता है।

मस्जिद के प्रथम गेट के पास जो उत्तर दिशा में है, वादी के अधिवक्ता ने तीन डमरू के बने हुए चिह्न दिखाए, जिसे प्रतिवादी के अधिकवक्ता मोहम्मद तौहीद और मुमताज अहमद ने गलत बताया। वादी पक्ष ने पूर्वी दिशा के दीवार पर लगभग 20 फीट ऊपर त्रिशूल के बने हुए निशान की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया गया उसकी भी फोटोग्राफी कराई गई है। उसके आगे भी लगभग सात फीट की ऊंचाई पर दिखाई पड़ रहे त्रिशूल के निशान की तरफ भी वादी पक्ष ने ध्यान आकृष्ट कराया और मुख्य गुंबद के दाहिने तरफ भी बने ताखा के अंदर त्रिशूल खुदा हुआ मिला। मस्जिद के स्टोर रूप के बाहर की दीवार पर भी स्वास्तिक के कई निशान कायम हैं।

रिपोर्ट के अनुसार .
एक तहखाने में दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की 6 आकृतियां बनी थीं।
– तहखाने की एक दीवार पर ‘त्रिशूल’ का चिह्न पाया गया है।
– मस्जिद की पश्चिमी दीवार से दो बड़े स्‍तंभ और एक मेहराब निकला हुआ है।
तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरवाजों को बंद कर दिया गया था।
तहखाने में 4-4 खम्भे मिले, जिनकी ऊंचाई 8-8 फीट थी।
– याचिकाकर्ताओं ने इन्‍हें मस्जिद का अवशेष बताया जबकि मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध किया।
– मस्जिद कें केंद्रीय गुंबद के नीचे एक शंक्‍वाकार संरचना (conical structure) मिली।
– मस्जिद के तीसरे गुंबद के नीचे के पत्‍थर परपर कमल की नक्‍काशी है।
– वुज़ू के लिए उपयोग किए जाने वाले तालाब में 2.5 फीट ऊंची गोल संरचना देखी गई. जहां याचिकाकर्ताओं ने इसे शिवलिंग बताया, वही मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह एक फव्‍वारा था।
– मस्जिद कमेटी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. उनका कहना है कि यह हैरतअंगेज है कि संवेदनशील प्रकृति की – रिपोर्ट्स को कोर्ट की ओर से कोई राय देने के पहले ही शेयर किया जा रहा है।
– नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे।
– बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे।
– तहखाने के एक खंभे पर प्राचीन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी।
लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था।

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