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RBI ने पंजाब नेशनल बैंक और फेडरल बैंक पर लगाया जुर्माना

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कहा कि उसने सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) पर 72 लाख रुपये और निजी क्षेत्र के फेडरल बैंक पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने मर्सिडीज बेंज फाइनेंशियल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले डेमलर फाइनेंशियल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) पर अपने नो योर कस्टमर (केवाईसी) निर्देश, 2016 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

भारतीय रिजर्व बैंक देश के सभी बैंकों के कामकाजों पर नजर रखती है। जब भी कोई बैंक आरबीआई के नियमों को अनदेखा कर अपनी मनमानी करता है तो केंद्रीय बैंक उस पर जुर्माना लगा सकता है।  इसी कड़ी में आरबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB), फेडरल बैंक (Federal Bank) मर्सिडीज बेंज फाइनेंशियल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और कोसामट्टम फाइनेंस लिमिटेड, कोट्टायम पर पेनल्टी लगाई है। ये कार्रवाई नियमों का पालन न करने की वजह से लगाई गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पंजाब नेशनल बैंक पर यह जुर्माना ‘अग्रिम पर ब्याज दर’ और ‘बैंकों में ग्राहक सेवा’ से संबंधित कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए लगाया गया है। केंद्रीय बैंक ने एक अन्य विज्ञप्ति में कहा कि केवाईसी नियमों के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ही फेडरल बैंक पर भी जुर्माना लगाया गया है।

आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसने पीएनबी पर 72 लाख रुपये और फेडरल बैंक पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने मर्सिडीज बेंज फाइनेंशियल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले डेमलर फाइनेंशियल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) पर अपने नो योर कस्टमर (KYC) निर्देश, 2016 के कुछ प्रोविजन का अनुपालन नहीं करने के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

RBI ने यह भी कहा कि कोसामट्टम फाइनेंस लिमिटेड, कोट्टायम पर ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा लेने वाली कंपनी और जमा लेने वाली कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2016’ के कुछ प्रोविजन का अनुपालन नहीं करने के लिए 13.38 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी मामलों में जुर्माना नियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य इकाइयों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल उठाना नहीं है।

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