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PM मोदी ने दिया निर्देश, दागी और भ्रष्ट अधिकारियों को किया जाये जबरन रिटायर

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-PMO को 10 साल में 4.5 करोड़ मिली शिकायतें

-पीएम ने अधिकारियों से सप्ताह में एक दिन शिकायतों के समाधान और राज्य मंत्रियों की प्रगति की निगरानी के लिए समर्पित करने को भी कहा है

नई दिल्ली। PM मोदी ने काम नहीं करने वाले और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने काम ठीक से नहीं करने वाले और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने पर जोर दिया है। पीएम मोदी ने केंद्रीय सचिवों से नियमों के अनुसार कर्मचारियों के प्रदर्शन का कठोर मूल्यांकन करने को कहा है। इसके तहत ‘सार्वजनिक हित’ में किसी भी कर्मचारी को समय से पहले रिटायर करने का पूर्ण अधिकार देता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों और सचिवों को निर्देश दिया है कि वे मंत्रालयों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम करें। यह निर्देश मंत्रिपरिषद की बैठक में दिया गया, जहां पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान तेज करने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सिविल सेवा (CCS) नियमों का हवाला देते हुए केंद्रीय सचिवों को कर्मचारियों का मूल्यांकन करने और उनके खिलाफ शिकायत करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि ईमानदार और काम करने वाली सरकार को चुनावों में जनता पुरस्कृत करती है। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलता का हवाला देते हुए जन शिकायतों के त्वरित समाधान और बेहतर शासन पर जोर दिया।

‘शिकायतों का हो तुरंत समाधान’

सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि फाइलें एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर न धकेली जाएं, बल्कि उनका त्वरित समाधान किया जाए। पीएम ने अधिकारियों से सप्ताह में एक दिन शिकायतों के समाधान और राज्य मंत्रियों की प्रगति की निगरानी के लिए समर्पित करने को भी कहा है। उन्होंने ये भी कहा कि मंत्रालयों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को लोगों का जीवन आसान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।

10 साल में 4.5 करोड़ शिकायतें

उन्होंने सचिवों से शिकायतों के समाधान के लिए हर हफ्ते एक दिन निकालने और राज्य मंत्रियों से उनकी निगरानी करने को भी कहा। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने बताया कि पिछले 10 सालों में PMO को लोगों की शिकायतों सहित 4.5 करोड़ पत्र मिले, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी 5 सालों में केवल 5 लाख ऐसे पत्र प्राप्त हुए थे।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोग शिकायतों के निवारण के प्रति अधिक आशावान हैं। पीएम मोदी ने बताया कि इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मामले केन्द्र सरकार के विभागों और एजेंसियों से संबंधित थे, जबकि शेष 60 प्रतिशत मामले राज्य सरकार से संबंधित थे।

समय से पहले हो जाएगी ‘छुट्टी’

सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद बुधवार को सभी केंद्रीय मंत्रियों और सचिवों के साथ बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के मूल नियम 56 (जे) का उल्लेख किया। इसमें निर्दिष्ट किया गया है कि ‘उपयुक्त प्राधिकारी’ किसी भी सरकारी कर्मचारी को यदि उसकी राय में वह सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य है तो उसे समय से पहले रिटायर कर सकता है।

किन पर गिर सकती है गाज

जबरन रिटायरमेंट के मामले में सरकार को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन और भत्ते देने की आवश्यकता होती है। 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले कर्मचारी इस नियम से प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह, नियम 48 में निर्दिष्ट किया गया है कि किसी भी समय सरकारी कर्मचारी की तरफ से 30 वर्ष की योग्यता सेवा पूरी करने के बाद, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसे सार्वजनिक हित में रिटायर होने की आवश्यकता हो सकती है।

जवाब देने का मिलता है मौका

नियमों के अनुसार ऐसे अधिकारियों को जवाब देने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही वे अदालतों में आदेश को चुनौती भी दे सकते हैं। सरकारी विभागों ने अब तक इन नियमों का उपयोग करके 500 से अधिक अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायर किया है। अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान स्क्रीनिंग प्रणाली कर्मचारियों की रैंकिंग पर नहीं बल्कि बेंचमार्क पर आधारित है।

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