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पुलिस की गिरफ्त से बाहर अमृतपाल सिंह पर लगाया गया NSA

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नई दिल्‍ली। खालिस्‍तान समर्थक ‘वासिस पंजाब दे’ का मुखिया अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पंजाब पुलिस की कई टीमें भगोड़े अमृतपाल की तलाश में जुटी हुई हैं। अमृतपाल पंजाब पुलिस को चकमा देकर जिस बाइक से भागा था, वो बरामद हो गई है।  पंजाब पुलिस ने जालंधर के दारापुर इलाके से बाइक को बरामद किया है।

पंजाब सरकार ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया कि अलगाववादी अमृतपाल सिंह के खिलाफ कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के प्रावधान लगाए गए हें। एक वकील ने यह दावा किया। अलगाववादी की अदालत में पेशी का अनुरोध करने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन. एस. शेखावत ने शनिवार को अमृतपाल सिंह के पुलिस के हाथ से निकल जाने पर पंजाब सरकार की खिंचाई की और इसे खुफिया विभाग की विफलता बताया। अमृतपाल के चार साथियों पर भी एनएसए लगाया गया है जिन्‍हें असम की जेल में रखा गया है। NSA के तहत संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है।

अधिवक्ता इमाम सिंह खारा ने अमृतपाल सिंह को पुलिस की ‘कथित’ हिरासत में से ‘रिहा’ कराने का अनुरोध करते हुए यह याचिका दायर की थी। खारा अमृतपाल सिंह और उनके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के कानूनी सलाहकार हैं। पंजाब पुलिस का कहना है कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल उनके बिछाए जाल से बच निकलने के बाद से फरार है।

उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई के दौरान अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह भी उपस्थित थे। खारा ने दावा किया कि पुलिस ने जालंधर के शाहकोट से अमृतपाल सिंह को ‘‘गैरकानूनी तरीके से और जबरन’’ हिरासत में लिया है। अदालत में सुनवाई के बाद पत्रकारों से बातचीत में खारा ने कहा कि पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई ने अमृतपाल से संबंधित रिकॉर्ड उच्च न्यायालय में दाखिल किया है।

खारा के अनुसार, घई ने अदालत को बताया कि इस संबंध में पांच-छह प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं। आवेदक ने आगे कहा, महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ रासुका (एनएसए) लगाया गया है। खारा ने कहा कि अमृतसर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला मजिस्ट्रेट से सिफारिश किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा दायर जवाब के अनुसार, पुलिस ने अमृतपाल सिंह को हिरासत में नहीं लिया है।

याचिका दायर होने के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 21 मार्च के लिए नोटिस जारी किया। पुलिस ने शनिवार को अमृतपाल सिंह और ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ विस्तृत अभियान चलाया था। लेकिन अलगाववादी अमृतपाल सिंह पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा।

अमृतपाल को भागने में मदद करने वाले गिरफ्तार

पुलिस ने बताया कि अमृतपाल को भागने में मदद करने वाले उसके चार साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अब तक अमृतपाल के 154 समर्थकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि अमृतपाल ने तीन गाड़ियां बदलीं। उसने गुरुद्वारा में कपड़े भी बदले। और बाद में अपने तीन साथियों के साथ दो बाइक से भाग गया।

अमृतपाल की पिछले ज्ञात लोकेशन जालंधर के हल्का शाहकोट में गांव नंगल अंबिया थी। यहां के निवासी नंबरदार भूपेंद्र सिंह ने बताया यह उन्हें आज पता चला था कि 18 तारीख को अमृतपाल सिंह अपने साथियों सहित गांव के गुरुद्वारा में आया और वहां पर अपने कपड़े बदल कर हुलिया चेंज करके वहां से चला गया। गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथि से पुलिस ने पूछताछ की तो यह बातें सामने आई की अमृतपाल 18 तारीख को गुरुद्वारा साहिब में आया था। अमृतपाल ब्रिजा गाड़ी में आया था और उनके पास मोटरसाइकिल भी थी और उसने आकर अपने कपड़े बदले और गुरुद्वारा साहिब में खाना भी खाया। अमृतपाल 18 तारीख को एक 1:30 बजे के करीब गुरुद्वारा साहिब में आया था।

क्या है नेशनल सिक्योरिटी एक्ट  (NSA)

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) एक ऐसा कानून है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति से कोई खास खतरा सामने आता है, तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश के लिए खतरा है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। 1980 में देश की सुरक्षा के लिहाज से सरकार को ज्यादा शक्ति देने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह एक्ट सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि यदि उसे लगे कि किसी को देशहित में गिरफ्तार करने की आवश्यकता है, तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। संक्षेप में कहा जाए तो यह एक्ट किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।

संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के अनुसार, संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। इसके साथ ही हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती और हिरासत की समयावधि को 12 महीने तक किया जा सकता है। साथ ही हिरासत में लिया गया व्यक्ति हाईकोर्ट के एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है और राज्य सरकार को यह बताना होता है कि इस व्यक्ति को हिरासत में रखा गया है।

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