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महाकुंभ का हुआ शुभारम्भ, 44 घाटों पर 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

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प्रयागराज। महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। प्रयागराज में संगम तट पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा यानी महाकुंभ सोमवार को पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहले प्रमुख स्नान अनुष्ठान के साथ शुरू हो गया। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर होने वाले आस्था के इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे।

ये महाकुंभ 12 साल के बाद आयोजित किया जा हो रहा है। हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं जो इस अवसर को और भी ज्यादा शुभ बना रहे हैं। शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे।

12 किमी पैदल चलकर संगम पहुंचे लोग पौष पूर्णिमा पर सुबह 4 बजे से पहला स्नान चला। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 44 घाटों पर पहले दिन 1 करोड़ 65 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। भक्तों पर हेलिकॉटर से फूलों की वर्षा की गई। महाकुंभ 144 साल में दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है। यह वही संयोग है, जो समुद्र मंथन के दौरान बना था।

श्रद्धालुओं का आंकड़ा अभी से इस महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता की कहानी बयान कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत से दो दिन पहले शनिवार को रिकॉर्ड 25 लाख लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। अधिकारियों के मुताबिक, ”यह एक भव्य महाकुंभ होगा, जिसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आधुनिकता भी दिखाई देगी क्योंकि यह एक तरह का ‘डिजिटल-महाकुंभ’ भी होगा, जिसमें एआई का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा।”

देश के कोने-कोने से भक्त प्रयागराज आए हैं। पहले दिन भीड़ इतनी रही कि 3700 लोग अपनों से बिछड़ गए। बाद में खोया-पाया केंद्र से अनाउंसमेंट कर ज्यादातर लोगों को उनके परिवार वालों से मिलवाया गया। हेलिकॉप्टर और NSG कमांडो ने महाकुंभ में आए लोगों पर नजर रखी। विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी तादाद में कुंभ में स्नान करने पहुंचे। प्रशासन के मुताबिक, जर्मनी, ब्राजील, रूस समेत 20 देशों से भक्त पहुंचे। आज से ही श्रद्धालुओं ने 45 दिन का कल्पवास शुरू कर दिया।

संगम पर एंट्री के सभी रास्तों पर रात में भी भक्तों की भीड़ है। वाहनों की एंट्री भी बंद है। श्रद्धालु बस और रेलवे स्टेशन से 10-12 किलोमीटर पैदल चलकर संगम पहुंच रहे हैं। 60 हजार जवान सुरक्षा-व्यवस्था संभाल रहे हैं। जगह-जगह कमांडो और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भी तैनात हैं।

एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ पहुंचीं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में अनुष्ठान किया। कल्पवास भी करेंगी।महाकुंभ को लेकर गूगल ने भी खास फीचर शुरू किया। महाकुंभ टाइप करते ही पेज पर वर्चुअल फूलों की बारिश हो रही है।

हाकुंभ के केंद्रीय अस्पताल में 8 हार्ट अटैक के मरीज आए

महाकुंभ में सोमवार को केंद्रीय अस्पताल में 8 हार्ट अटैक के मरीज आए। सभी मरीज स्टेबल हैं। अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर मनोज कोशिश ने बताया कि सभी मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो गए हैं। मरीजों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। सभी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अलर्ट पर हैं।सोमवार को ओपीडी में कुल 9,674 मरीज देखे गए। आईसीयू में 325 मरीजों का इलाज हुआ।महाकुंभ में 14 जनवरी को पहला शाही स्नान है। आज ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने घाट के किनारे डेरा जमा लिया है। रात गुजारने के लिए लोगों ने जमीन पर पन्नियां बिछाई हैं।

महाकुंभ 2025 की पहली रात कुंभ मेला ग्राउंड दिव्य सजावट और भव्य तैयारियों से जगमगा उठा है। चारों ओर आध्यात्मिकता का प्रकाश और धर्म की गूंज से यह भूमि सजीव हो उठी है।महाकुंभ में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के लिए लीडर रोड पर भंडारे का इंतजाम किया गया है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भंडारे का प्रसाद चख रहे हैं।

सीएम योगी ने सोमवार शाम X पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- मानवता के मंगलपर्व ‘महाकुंभ 2025’ में ‘पौष पूर्णिमा’ के शुभ अवसर पर संगम स्नान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले सभी संतगणों, कल्पवासियों, श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन। प्रथम स्नान पर्व पर आज 1.50 करोड़ सनातन आस्थावानों ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य अर्जित किया। प्रथम स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने में सहभागी महाकुंभ मेला प्रशासन, प्रयागराज प्रशासन, नगर निगम प्रयागराज, स्वच्छाग्रहियों, गंगा सेवा दूतों, कुंभ सहायकों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों तथा मीडिया जगत के बंधुओं सहित महाकुंभ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद!

कल्पवास  क्या है ?

कुंभ मेले में कल्पवास का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि यहां किया गया तप हर पाप को नष्ट कर देता है और मोक्ष का मार्ग खोलता है। कल्पवास के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों के संगम पर ध्यान, भजन और वेद पढ़कर समय बिताते हैं। सांसारिक मोह-माया से दूर, यहां भौतिक सुखों का त्याग कर दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का प्रयास किया जाता है।

कल्पवास करना उन लोगों के लिए बेहतर माना जाता है, जिन्होंने जीवन की जिम्मेदारियों से मुक्ति पा ली हो। युवा भी इसमें भाग ले सकते हैं। लेकिन, उन्हें तपस्या और संयम के लिए पूरी तरह समर्पित होना होगा। महाभारत और मत्स्यपुराण में कहा गया है कि जो लोग तप और भक्ति के साथ कल्पवास करते हैं, वे न केवल पाप से मुक्त होते हैं, स्वर्ग में भी स्थान पाते हैं।

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