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LG ने दिल्लीवासियों के लिए संपत्ति कर माफी योजना ‘समृद्धि 2022-23’ किया पेश

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नई दिल्ली।  उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एकबारगी संपत्ति कर माफी योजना ‘समृद्धि 2022-23’ पेश की है। उन्होंने मंगलवार को इस योजना को पेश करते हुए कहा कि यह शहर के लाखों आवासीय और कॉमर्शियल संपत्ति मालिकों को बड़ी राहत प्रदान करेगी। समृद्धि योजना 26 अक्टूबर से शुरू होकर 31 मार्च, 2023 तक चलेगी। इसकी समयसीमा का विस्तार नहीं किया जाएगा। इस संबंध में जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, योजना के तहत आवासीय संपत्ति के मालिक वर्तमान और पिछले पांच वर्षों की केवल मूल संपत्ति कर राशि का भुगतान कर सकते हैं।

कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए संपत्ति मालिक पिछले छह वर्षों की मूल राशि का भुगतान कर सकते हैं और जुर्माना, ब्याज समेत पिछले बकाये पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि समृद्धि 2022-23 दिल्ली नगर निगम की एक जन-हितैषी पहल है जो यहां रहने वालों को एक बड़ी राहत प्रदान करेगी और संपत्ति के मालिकों को लंबित विवादों और संबंधित उत्पीड़न से छुटकारा पाने में मदद करेगी।

सक्सेना ने कहा कि यह नई एमनेस्टी योजना कर आधार को आगे बढ़ाएगी और एमसीडी को अपने लंबे समय से लंबित कर बकाया को लागू करने के बारे में अधिक व्यावहारिक होकर एक उचित कर डेटाबेस बनाने में सक्षम बनाएगी। बयान के अनुसार,टैक्स माफी कार्यक्रम में रेजीडेंसियल के लिए ‘वन प्लस फाइव’ विकल्प और गैर-आवासीय संपत्तियों के लिए ‘वन प्लस सिक्स’ विकल्प की परिकल्पना की गई है। “वन प्लस फाइव’ के तहत आवासीय संपत्तियों के करदाताओं को वर्तमान वर्ष और पिछले पांच वर्षों (यानी वित्त वर्ष 2022-23 + वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-22) के लिए संपत्ति कर की मूल राशि का भुगतान करना होगा, जिस पर 100 प्रतिशत बकाया कर राशि पर ब्याज और जुर्माने से छूट दी जाएगी और 2017-18 से पहले के सभी पिछले बकाया माफ कर दिए जाएंगे।

इसको लेकर गैर आवासीय संपत्ति योजना के लिए ‘वन प्लस सिक्स’ के तहत, प्रॉपर्टी मालिकों को इस साल और पिछले छह सालों के लिए संपत्ति कर की मूल राशि का भुगतान करना होगा। जहां बकाया कर राशि पर 100 प्रतिशत ब्याज और जुर्माने से छूट दी जाएगी और 2016-17 से पहले के सभी बकाया को पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा।” यदि कोई करदाता 31 मार्च, 2023 तक अपने कर बकाया का निपटान करने में विफल रहता है, तो वह 2004 से या जो भी वर्ष लंबित है, ब्याज और जुर्माना के साथ सभी कर बकाया का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा और किसी भी छूट का हकदार नहीं होगा।

बयान में कहा गया है कि अगले साल 1 अप्रैल से ऐसे बकाएदारों के खिलाफ कर बकाया जमा करने के लिए जबरदस्ती के उपाय शुरू किए जाएंगे। इसमें कहा गया है कि अगर किसी करदाता ने पहले ही 2017-18 या 2016-17 से किसी भी वर्ष के लिए देय राशि का भुगतान कर दिया है, लेकिन इसे एमसीडी टैक्स डेटा में दर्ज नहीं किया गया है, तो भुगतान का प्रमाण जमा करना होगा ताकि टैक्स डेटाबेस को अपडेट किया जा सके। बयान में कहा गया है कि ऐसे मामले जहां मूलधन, ब्याज और जुर्माने का भुगतान योजना शुरू होने से पहले ही कर दिया गया है, उनका पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जाएगा और उन्हें दोबारा नहीं खोला जाएगा।

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