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आम लोंगो के लिए सूचनाएं प्राप्त करना हुआ आसान, सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन RTI पोर्टल किया शुरू

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नई दिल्‍ली। आम लोगों को सुप्रीम कोर्ट से सूचनाएं प्राप्त करना आसान हो गया है। सुप्रीम कोर्ट का RTI पोर्टल  बनकर तैयार हो गया है।   इस पोर्टल के जरिए लोग सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी सूचना आसानी से प्राप्‍त कर पाएंगे। RTI आवेदन दाखिल करने के लिए पोर्टल गुरुवार से शुरू हो गया।  

इस बारे में घोषणा करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बताया कि पोर्टल जल्द ही काम करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा, इससे पहले कि हम मामलों को शुरू करें, मैं कहना चाहता हूं कि पोर्टल तैयार है। CJI ने कहा, ऑनलाइन पोर्टल सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट के जवाबों को सुव्यवस्थित करेगा। इससे पहले शीर्ष अदालत के संबंध में आरटीआई आवेदन केवल डाक के माध्यम से दायर किए जा रहे थे। 

कोई भी आम नागरिक अब सूचना को अधिकार कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से जानकारी पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन ऐप्लिकेशन डालने के लिए आपको registry.sci.gov.in/rti_app पोर्टल पर जाना होगा। सूचना के अधिकार के तहत कई संस्‍थानों से लोग जानकारी हासिल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट से सूचना पाने का तरीका भी लगभग वैसा ही है। सुप्रीम कोर्ट की जानकारी हासिल करने के लिए पहले आवेदनकर्ता को इसमें अपनी लॉगिन ID बनानी पड़ेगी। इसके बाद मांगी जा रही सूचना का फॉर्म भरना होगा। आखिर में 10 रुपये का शुल्क ऑनलाइन देना होगा।

बता दें,  सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ छात्रा आकृति अग्रवाल और लक्ष्य पुरोहित की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में शीर्ष अदालत में आरटीआई आवेदन ऑनलाइन दाखिल करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफार्म की मांग की गई थी। 

देश का सर्वोच्‍च न्‍यायालय भी सूचना अधिकार कानून, 2005 के तहत एक सार्वजनिक कार्यालय है। कानून के तहत इसके कामकाज से जुड़ी सूचना नागरिक मांग सकते हैं। 13 नवंबर 2019 को दिए एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को भी ‘पब्लिक ऑफिस’ करार दिया जा चुका है। ऐसे में अब नागरिक सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ मुख्‍य न्‍यायाधीश के जुड़े सवालों के जवाब भी हासिल कर पर पाएंगे। 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीशों के कामकाज की सूचना सार्वजनिक नहीं की जाएगी, क्‍योंकि इससे कई विचाराधीन केस प्रभावित हो सकते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीशों से जुड़ी कई जानकारियां भी इस अधिकार के तहत नहीं आती हैं। ऐसे में लोगों को सूचना मांगने से पहले कई बातों का ध्‍यान रखना होगा।

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