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‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले में जाग गयीं जांच एजेंसियां

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-‘भारत में साइबर घोटाले का बहुत बड़ा नेटवर्क’, ED ने डिजिटल अरेस्ट मामले में दाखिल की चार्जशीट

नई दिल्ली ( एजेंसी )। ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले में जांच एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी है। इसके तहत ही ED ने कर्नाटक के एक मामले में 8 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें धोखाधड़ी की रकम लगभग 159 करोड़ रुपये है।

मामले में गिरफ्तार सभी 8 आरोपी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। ED ने एक बयान में बताया कि उसने पिछले माह बेंगलुरु की  PMLA अदालत में 8 आरोपियों  के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। जांच एजेंसी ने कहा, ‘जांच में पाया गया कि भारत में साइबर घोटालों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, जिसमें फर्जी शेयर बाजार निवेश और डिजिटल अरेस्ट शामिल हैं, जिन्हें मुख्य रूप से फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्मों के जरिये अंजाम दिया जाता है।’

भ्रामक वाट्सएप ग्रुप्स

पिग बूचरिंग घोटाले के नाम से प्रचलित शेयर बाजार निवेश घोटाले में लोगों को उच्च मुनाफे का लालच देकर फर्जी वेबसाइटों व भ्रामक वाट्सएप ग्रुप्स का उपयोग करके लुभाया जाता है। इन भ्रामक वाट्सएप ग्रुप्स को देखने से ऐसा लगता है कि ये प्रतिष्ठित वित्तीय कंपनियों से जुड़े हैं।

ED ने कहा कि इस घोटाले के कुछ पीड़ितों को आरोपियों ने खुद को सीमा शुल्क और CBI का अधिकारी बताकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया, फिर उन्हें मुखौटा कंपनियों में भारी मात्रा में पैसा ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। ED ने कहा कि आरोपियों ने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए सैकड़ों सिम कार्ड प्राप्त किए जो या तो मुखौटा कंपनियों के बैंक खातों से जुड़े थे या वाट्सएप अकाउंट बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। इन बेनाम सिम कार्डों की वजह से घोटालेबाज पीड़ितों को धोखा दे पाते हैं और उनके तुरंत पकड़े जाने का जोखिम कम हो जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी में बदली रकम

ED ने बताया कि आरोपितों ने साइबर अपराधों से प्राप्त रकम को हासिल करने और उसे वैध बनाने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में 24 मुखौटा कंपनियां बनाई थीं। ये मुखौटा कंपनियां मुख्य रूप से कोवर्किंग स्पेस (जहां कोई वास्तविक कारोबार नहीं होता) पर पंजीकृत हैं। कारोबार शुरू करने के सुबूत के रूप में इन्होंने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के समक्ष फर्जी बैंक स्टेटमेंट दाखिल किए थे। ED की जांच में पाया गया कि आरोपितों ने प्राप्त रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदला और विदेश में ट्रांसफर कर दिया। ईडी ने इस मामले में 10 अक्टूबर को आरोपपत्र दाखिल किया था और अदालत ने 29 अक्टूबर को इस पर संज्ञान लिया था।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र  ने रविवार को एक नई एडवाइजरी जारी की, जिसमें लोगों से ‘डिजिटल अरेस्ट’ से सावधान रहने की अपील की गई है। इसमें कहा गया कि वीडियो कॉल करने वाले लोग पुलिस, सीबीआई, सीमा शुल्क अधिकारी या न्यायाधीश नहीं, बल्कि साइबर अपराधी होते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले संगठन ने एडवाइजरी में लोगों से इन ‘चालबाजी’ में नहीं फंसने और ऐसे अपराधों की शिकायत तत्काल राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर या साइबर अपराधों से जुड़े आधिकारिक पोर्टल पर दर्ज कराने को कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अक्टूबर को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में ‘डिजिटल अरेस्ट’ का मुद्दा उठाया था।

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