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जल्द ही भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा – प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण

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-प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिभा के भंडार को समृद्ध करने के लिए मैं कानूनी शिक्षा में लड़कियों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव करता हूं।

नई दिल्ली। पहले ‘अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस’ के उपलक्ष्य में उच्चतम न्यायालय में आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि मैं दृढ़ता से महसूस करता हूं कि महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने की नीति को सभी स्तरों पर और सभी राज्यों में दोहराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शीर्ष अदालत में चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है और जल्द ही भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने लड़कियों के लिए कानूनी शिक्षा में आरक्षण की पुरजोर पैरवी करते हुए गुरुवार को कहा कि आंकड़े साबित करते हैं कि इस तरह के प्रावधान से जिला स्तर पर महिला न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति में उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षण के जरिये तेलंगाना ने 52 प्रतिशत, असम ने 46 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश ने 45 प्रतिशत, ओडिशा ने 42 प्रतिशत और राजस्थान ने 40 प्रतिशत महिला न्यायिक अधिकारियों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा अभी भी पुरुष प्रधान है, जिसमें महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व है। मैं सकारात्मक कार्रवाई का प्रबल समर्थक हूं। प्रतिभा के भंडार को समृद्ध करने के लिए मैं कानूनी शिक्षा में लड़कियों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव करता हूं। इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश के अलावा, शीर्ष अदालत की चार मौजूदा महिला न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी आदि मौजूद रहें।

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