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दोषी को तब तक फांसी पर लटकाओ, जब तक उसका दम ना निकल जाये -विशेष अदालत

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा

मथुरा।  सोनभद्र जिले के बीजपुर थाना क्षेत्र में लगभग दो वर्ष पूर्व एक 7 वर्षीय बच्‍ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के जुर्म में एक व्यक्ति को मथुरा की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनायी। अदालत ने दोषी पर 3 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अभियोजन के अनुसार अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सोनभद्र निहारिका चौहान ने शुक्रवार को इस मामले में शिवम (24) को दोषी करार देते हुए उसे मौत की सजा दी।

न्यायाधीश ने कहा कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाओ जब तक उसका दम ना निकल जाये। फांसी की सजा सुनते ही आरोपी रोने लगा, वहीं पीड़ित परिजन अदालत के इस फैसले से खुश नजर आये और न्यायालय व न्यायधीश का धन्यवाद देते हुए अपने बच्ची के साथ हुए इस घटना पर बच्ची को याद किया।

अपर शासकीय अधिवक्ता दिनेश अग्रहरि ने बताया कि अदालत ने इस मामले को जघन्यतम अपराध मानते हुए कहा है, ‘शिवम को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाय, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।’ उन्होंने कहा कि अर्थदंड की समूची धनराशि तीन लाख 25 हजार रुपये मृतका के पिता को मिलेगी।

दरअसल बीजपुर थाना क्षेत्र में दो वर्ष पूर्व एक सात वर्षीय मासूम को बिस्किट दिलाने के बहाने जंगल में ले जाकर दुष्कर्म करने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना को अंंजाम देने के बाद आरोपी शिवम ने मासूम के शव को नाले में फेंक दिया था। घटना के बाद परिजनों व पुलिस के साथ आरोपी खुद मासूम के शव को खोजने में सहयोग करता रहा पर आरोपी के हाव भाव से परिजनों को शक हुआ। तब परिजनों ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए पूछताछ की। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने अपना गुनाह कबूल किया था।

घटना का ब्यौरा देते हुए अग्रहरि ने बताया कि इस व्यक्ति ने तहरीर में कहा था कि बीजपुर थाना क्षेत्र के महुली गांव के शिवम को उसके साथ खेलते हुए देखा गया था और उसे आशंका है कि उसकी बेटी को शिवम ने ही गायब किया होगा। इस तहरीर पर बीजपुर पुलिस ने अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दी।

अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने शिवम को हिरासत में लेकर पूछताछ की और उसकी निशानदेही पर बच्ची का शव नाले के पास से बरामद कर लिया। अग्रहरि के अनुसार शव का पोस्टमार्टम कराया गया और रिपोर्ट मिलने के बाद अपराध में हत्या और पॉक्सो एक्ट के धारा की जोड़ी दी गई।

पुलिस ने साक्ष्य इकठ्ठा करते हुए पॉस्को एक्ट के तहत अच्छी पैरवी की जिसका नतीजा कोर्ट में देखने को मिला। इस मामले में पीड़ित के वकील दिनेश अग्रहरी ने बताया कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ साक्ष्य इकठ्ठा किये। आरोपी के बालों और बच्ची के शव पर आरोपी के मिले बालों का डीएनए टेस्ट करवाया गया वहीं अन्य साक्ष्यों से आरोपी बच नहीं पाया जिसका नतीजा रहा कि पॉस्को एक्ट के विशेष अदालत ने न्याय करते हुए आरोपी के खिलाफ फांसी की सजा को सुनाया है।

उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने पर शिवम को दोषी पाया और उसे मृत्युदंड एवं तीन लाख 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। मृतका के माता-पिता ने कहा कि उनकी बेटी को अब न्याय मिला है। उन्होंने अदालत के प्रति आभार जताया है।

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