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सरकार के इंटर्नशिप कार्यक्रम से गैर-कृषि क्षेत्र में युवाओं को मिलेगा रोजगार -आर्थिक सर्वे

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नई दिल्ली (एजेंसी)।वित्त मंत्रालय द्वारा सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 जारी किया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी पिछले छह वर्षों में बढ़ रही है, और बेरोजगारी दर में गिरावट आ रही है, सर्वेक्षण में पिछले छह वर्षों में भारतीय श्रम बाजार संकेतकों में सुधार पर प्रकाश डाला गया है, बेरोजगारी दर 2022-23 में गिरकर 3.2 प्रतिशत हो गई है।

केंद्रीय बजट में श्रमिकों के हितों की रक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। किसी भी देश के विकास के लिए श्रम उत्पादकता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में श्रमिकों की संख्या लगभग 56.5 करोड़ हैं, जिसमें से 45 प्रतिशत से अधिक कृषि में, 11.4 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग, 28.9 प्रतिशत सेवाओं और 13.0 प्रतिशत निर्माण में कार्यरत हैं।

संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमान के अनुसार, भारत में काम करने लायक उम्र के लोगों की आबादी (15-59 वर्ष) 2044 तक बढ़ती रहेगी।इसी अनुमान के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना लगभग 78.51 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। केंद्रीय बजट में रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण उपायों और श्रम संबंधी सुधारों की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है।

29 करोड़ से अधिक श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत

विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए एक जरूरी कदम है, असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना। ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डाटाबेस है, जिसमें 29 करोड़ से अधिक श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं। असंगठित क्षेत्र के लगभग 38 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल लांच किया गया था।

नेशनल करियर सर्विस पोर्टल और अन्य मंत्रालयों/विभागों के अन्य पोर्टलों के साथ ई-श्रम पोर्टल का एकीकरण एक बेहतर और आसान श्रम से जुड़ा इकोसिस्टम बनाएगा, जिससे श्रमिकों, नियोक्ताओं और नीति निर्माताओं को समान रूप से लाभ होगा। एकीकृत सेवाएं श्रमिकों को उनके अधिकारों और लाभों की समय पर प्राप्ति सुनिश्चित करेंगी, जिससे उनके चहुमुखी विकास में सुधार होगा।

बजट में पेश की गई सबसे प्रमुख योजनाओं में से एक, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना हैं। इन योजनाओं को विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में नए श्रमिकों को काम पर रखने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस कदम से सरकार का लक्ष्य औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है, जो बेरोजगारी को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

महिलाओं और बालिकाओं के लिए सराहनीय पहल

सर्वेक्षण में कहा गया है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रोजगार महामारी के झटके से उबर गया है. इसमें कहा गया है, “महिला श्रम बल भागीदारी दर छह वर्षों से बढ़ रही है, जो 2017-18 में 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 37 प्रतिशत हो गई है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से प्रेरित है।”

बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर सरकार के दबाव के बीच, सर्वेक्षण में कहा गया है कि जहां सेवा क्षेत्र प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता (उत्पादक) बना हुआ है, वहीं निर्माण क्षेत्र हाल ही में प्रमुखता से बढ़ रहा है। सरकार द्वारा की गई एक और सराहनीय पहल कामकाजी महिला छात्रावास की स्थापना और इंडस्ट्री के सहयोग से क्रेच की स्थापना करके वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है।

इससे महिला और पुरुष कर्मचारियों के बीच अंतर में कमी आएगी, क्योंकि यह कदम महिला श्रमिकों के सामने आने वाली काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने संबंधी चुनौतियों का समाधान करेगा। इससे उद्योगों के लिए उपलब्ध प्रतिभा पूल का भी विस्तार होगा।

विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में है और इस युवा आबादी की औसत उम्र 28 वर्ष है। भारत इस युवा आबादी को नौकरी के लिए जरूरी कौशल से लैस करके जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कर सकता है और उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सकता है।

एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप

सरकारी योगदान और सीएसआर फंड के साथ शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना एक नया विचार है। ये ट्रेनी उद्योग की जरूरतों के हिसाब से ज्ञान प्राप्त करने और पेशेवर नेटवर्क बनाने में सक्षम होंगे, जिससे नौकरी के साथ-साथ स्व-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है, और उनमें से कई लोगों के पास वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जरूरी कौशल का अभाव है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 51.25 प्रतिशत युवा ही रोजगार के योग्य माने जाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो लगभग हर दो में से एक युवा  कालेज के तुरंत बाद रोजगार के योग्य नहीं होता है। ऐसे में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार हासिल करने के लिए जरूरी कौशल से लैस  करना समय की जरूरत है।

अमृत काल की विकास रणनीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है

दस्तावेज़ में लिखा हुआ है, “अमृत काल की विकास रणनीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है. सबसे पहले, निजी निवेश को बढ़ावा देने पर जानबूझकर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। दूसरे, भारत के मित्तलस्टैंड (MSME) का विकास और विस्तार एक रणनीतिक प्राथमिकता है। तीसरा, कृषि की क्षमता भविष्य के विकास के इंजन के रूप में पहचाना जाना चाहिए और नीतिगत बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए। चौथा, भारत में हरित परिवर्तन के वित्तपोषण को सुरक्षित करने की आवश्यकता है। पांचवें, शिक्षा-रोज़गार अंतर को पाटना होगा और अंत में, राज्य क्षमता का निर्माण करना होगा जो भारत की प्रगति को बनाए रखने और तेज़ करने के लिए क्षमता की आवश्यकता है।”

सर्वेक्षण के अनुसार, यदि हम पिछले दशक में किए गए संरचनात्मक सुधारों पर काम करते हैं तो मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर आधार पर 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।

 महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ाने की जरूरत

सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से कौशल विकास करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि ने ‘कौशल भारत’ पर जोर को उजागर किया है। हालाँकि, भूमि उपयोग प्रतिबंध, बिल्डिंग कोड और महिलाओं के रोजगार के लिए क्षेत्रों और घंटों की सीमा जैसी नियामक बाधाएँ रोजगार सृजन में बाधा डालती हैं। रोजगार को बढ़ावा देने और महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ाने के लिए इन बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि लघु से मध्यम अवधि में नीति फोकस के प्रमुख क्षेत्रों में नौकरी और कौशल निर्माण, कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन, एमएसएमई बाधाओं को संबोधित करना, भारत के हरित संक्रमण का प्रबंधन, चीनी पहेली से चतुराई से निपटना, कॉर्पोरेट को गहरा करना, बांड बाजार, असमानता से निपटना और हमारी युवा आबादी के स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार करना शामिल है।

क्‍या करना चाहती है सरकार?

सरकार की यह पहल शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच संबंध मजबूत करने में मदद करेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि शैक्षणिक कार्यक्रम उद्योग की जरूरतों के साथ बेहतर ढंग से काम कर सकें। केंद्रीय बजट में श्रम-संबंधी घोषणाएं देश में श्रम बाजार को मजबूत करने के लिए एक बहुमुखी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।

रोजगार सृजन, महिलाओं की भागीदारी, कौशल विकास और कुशल श्रम बाजार प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार का लक्ष्य विकसित भारत के लिए एक समावेशी और मजबूत आर्थिक विकास पथ को बढ़ावा देना है।

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