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अलगाववादियों, चरमपंथियों को महत्व देना “संबंधों के लिए भी अच्छा नहीं” – भारत

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नई दिल्ली। भारत ने ब्रैम्पटन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए कथित तौर पर झांकी निकाले जाने की घटना के दृश्य सोशल मीडिया पर आने के बाद कनाडा पर अलगाववादियों एवं चरमपंथियों को महत्व देने को लेकर निशाना साधा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि कनाडा का अपनी जमीन से भारत विरोधी तत्वों को काम करने की अनुमति देना न केवल उसके लिए बल्कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी ठीक नहीं है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं सोचता हूं कि इससे वृहद मुद्दा जुड़ा हुआ है और जो वृहद मुद्दा जुड़ा है, वह कनाडा का लगातार (चरमपंथियों को) स्थान देना है।” उन्होंने कहा, ‘‘ स्पष्ट रूप से हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के अलावा कोई ऐसा क्यों करेगा।” विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ क्योंकि आप अगर उनके इतिहास को देखें, तब आप कल्पना करेंगे कि वे इतिहास से सीखते हैं और वे इतिहास नहीं दोहराना चाहेंगे। यह केवल एक मुद्दा नहीं हैं।” जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि अलगाववादियों, चरमपंथियों, हिंसा की वकालत करने वालों को महत्व देने के पीछे वृहद निहित मुद्दे हैं और मैं सोचता हूं कि यह संबंधों के लिए भी अच्छा नहीं है और कनाडा के लिए भी ठीक नहीं है।”

सोशल मीडिया में आई कुछ खबरों के मुताबिक, कनाडा के ब्रैम्पटन में खालिस्तान समर्थकों ने हाल ही में इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए झांकी निकाली। भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरन मैके ने ट्वीट किया कि हिंसा या घृणा के महिमामंडन के लिए कनाडा में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ कनाडा में एक कार्यक्रम की खबरों से मैं स्तब्ध हूं जिसमें दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का उत्सव मनाया गया। कनाडा में हिंसा या घृणा का महिमामंडन करने के लिए कोई स्थान नहीं है।” कांग्रेस ने कनाडा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए कथित तौर पर झांकी निकाले जाने की घटना की निंदा करते हुए बृहस्पतिवार को सरकार से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे को कनाडा के समक्ष मजबूती से उठाए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे घिनौना कृत्य भी करार दिया। कुछ भारतीय छात्रों को पेश आ रही परेशानियों के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने कहा कि भारत ने इस मुद्दे को कनाडा के अधिकारियों के समक्ष उठाया है। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर ऐसे लोग हैं जो उन्हें (छात्रों को) गुमराह करते हैं तो दोषी पक्षों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। नेक नियति से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को दंडित करना उचित नहीं है।” विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कामन्स में इस मुद्दे पर बयान दिया है। जयशंकर ने कहा, ‘‘ हम इस मुद्दे पर कनाडा के सम्पर्क में हैं।”

सिख शरणार्थियों से मुलाकात

मीडिया से बात करने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी दिल्ली में गुरु अर्जुन देव गुरुद्वारा में दर्शन किये। दर्शन करने के बाद उन्होंने अफगान सिख शरणार्थियों से मुलाकात कर उनकी समस्या सुनी। उसके बाद उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कारण इन लोगों को विश्वास था कि हम आएंगे। अगर वह क़ानून नहीं होता तो इन लोगों का क्या होता? उन्होंने कहा कि कभी-कभी हम हर चीज़ को राजनीति का मुद्दा बना देते हैं। यह राजनीति का मामला नहीं बल्कि इंसानियत का मामला है। उस हालात में इन लोगों को कौन छोड़ सकता था?

हम आपको यह भी बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत आए सिख शरणार्थियों के अलावा जयशंकर ने पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा के साथ 1984 के सिख विरोधी दंगों से प्रभावित एक परिवार से तिलक विहार में मुलाकात भी की। इसके बाद विदेश मंत्री ने बसई दारापुर में उन छात्रों से भी मुलाकात की जिन्हें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण पढ़ाई छोड़कर घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

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