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चुनावी फायदे के लिए कर्नाटक सरकार ने OBC मुसलमानों का आरक्षण किया खत्म

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नई दिल्ली। कर्नाटक में इस साल होने वाले विधानसभी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक बड़ा फैसला लेते हुए OBC मुसलमानों को मिल रहे 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है। सीएम का यह फैसला चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। और राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी को इससे आने वाले चुनाव में फायदा हो सकता है। मिल रही जानकारी के अनुसार OBC मुसलमानों को मिल रहे चार फीसदी कोटे को वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के बीच बांटा गया है।  जिन मुसलमानों को पहले ये कोटा दिया जाता था उन्हें अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत किया गया है।

राज्य सरकार के इस फैसले ने कर्नाटक में आरक्षण प्रतिशत को बढ़ा दिया है. एससी ने राज्य में कोटे देने का प्रतिशत 50 तय किया था।  लेकिन इस बदलाव के बाद अब राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़कर 57 फीसदी हो गई है। यह फैसला लेने के बाद सीएम ने पत्रकारों से कहा कि हमने कुछ बड़े निर्णय लिए हैं। हमे एक कैबिनेट कमेटी ने कोटा कैटेगरी में बदलाव के लिए सुझाव दिया था, जिसे हमने मान लिया है।

सीएम के इस फैसले के बाद अब दो नई श्रेणियों आरक्षण को बढ़ा दिया गया है। वोक्कालिगा के लिए कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। पंचमसालियों, वीरशैवों और अन्य लिंगायतों वाली अन्य श्रेणी के लिए भी कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत हो गया है।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने घोषणा की कि मुसलमानों को 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा पूल में स्थानांतरित किया जाएगा। मुसलमान श्रेणी 2 बी के तहत आते हैं। इस फेरबदल के बाद अब मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस कोटे से मुकाबला करना होगा, जिसमें ब्राह्मण, वैश्य, मुदलियार, जैन और अन्य शामिल हैं।
बोम्मई ने विस्तार से बताया, धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के लिए संविधान के तहत कोई प्रावधान नहीं है। यह किसी भी राज्य में नहीं है। आंध्र प्रदेश में अदालत ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण को रद्द कर दिया। यहां तक की भीमराव अंबेडकर ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि आरक्षण जातियों के लिए है।

उन्होंने आगे कहा, देर-सबेर कोई धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने को चुनौती दे सकता है। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, शाब्दिक अर्थों में OBC आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आर्थिक मानदंड हैं, यहां तक कि अल्पसंख्यकों के लिए भी। हम अल्पसंख्यकों को चार फीसदी पूल से दस फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा में स्थानांतरित कर रहे हैं, जहां वहीं आर्थिक मानदंड रहेगा।

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