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बासमती चावल के नाम पर हो रहा था गैर बासमती चावल का निर्यात, सरकार ने लगाई रोक

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-वाणिज्‍य मंत्रालय ने APEDA को जारी किए निर्देश

-सरकार के पास इस बात की विश्वसनीय जानकारी थी कि कुछ एक्सपोर्टर गैर-बासमती सफेद चावल का अवैध तरीके से निर्यात कर रहे हैं। 

– लगातार बढ़ रही चावल की कीमत, निर्यात अनुबंधों का मूल्‍यांकन करने का आदेश 

नई दिल्‍ली। बढ़ती महंगाई से परेशान आम आदमी के लिए अच्छी खबर है। गेहूं और चावल की कीमत पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में, सरकार ने अब एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए गुरुवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उबले हुए गैर-बासमती चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा, जो निर्यात का बड़ा हिस्सा है। देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। केंद्र सरकार चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए विभिन्‍न उपाय करने में जुटी है। यही कारण है कि वाणिज्‍य मंत्रालय ने इस साल 20 जुलाई को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।

वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, उबले चावल और बासमती चावल की आड़ में निर्यात के लिए प्रतिबंधित गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात को रोकने के लिए बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया गया है।

सरकारी सूत्रों ने बताया है कि सरकार के पास इस बात की विश्वसनीय जानकारी थी कि कुछ एक्सपोर्टर गैर-बासमती सफेद चावल का अवैध तरीके से निर्यात कर रहे हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, गैर-बासमती सफेद चावल के अवैध निर्यात को रोकने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ( APEDA ) को बासमती चावल के निर्यात के अनुबंधों के पंजीकरण के लिए तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शुरू करने का निर्देश जारी किया है। वाणिज्य मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक सिर्फ 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती निर्यात के अनुबंधों को ही पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए।

2022-23  में रिकॉर्ड निर्यात

इसी शुक्रवार देर रात वित्त मंत्रालय ने उबले चावल के एक्सपोर्ट पर 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। ये फैसले घरेलू बाजार में पर्याप्त स्टॉक बनाये रखने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए लिए गए हैं।  थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में उत्पादन व्यवधान और अल नीनो की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभावों की आशंका के मद्देनजर अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से ही लगातार बढ़ रही हैं। भारतीय चावल की कीमतों के अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिसके परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसका रिकॉर्ड निर्यात हुआ है।

भारत से चावल का निर्यात

भारत से गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात 2022-23 में 4.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि पिछले वर्ष में यह 2.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत के गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात के प्रमुख देशों में थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा गया है कि गैर-बासमती सफेद चावल (हाफ-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं या चमकीला) की निर्यात नीति को मुक्त से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

कहा गया है कि चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं। इसके रिटेल प्राइस एक साल में 11.5 फीसदी और पिछले महीने 3 फीसदी बढ़े हैं। कीमत कम करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 8 सितंबर, 2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था।

हालांकि, इस किस्म का निर्यात 2022-23 की सितंबर-मार्च अवधि में बढ़कर 42.12 लाख टन हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की सितंबर-मार्च अवधि के दौरान 33.66 लाख टन था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 15.54 लाख टन सफेद चावल का निर्यात किया गया, जो कि एक साल पहले की अवधि में केवल 11.55 लाख टन था। इस हिसाब से निर्यात में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

साथ ही, APEDA को 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य के बासमती निर्यात के सभी निर्यात अनुबंधों का मूल्यांकन करने का भी निर्देश दिया गया है. वाणिज्य मंत्रालय ने आदेश दिया है कि 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम के बासमती के सभी निर्यात अनुबंधों का मूल्यांकन APEDA अध्यक्ष द्वारा गठित एक समिति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि यह जांच हो सके कि क्या इस मार्ग का उपयोग गैर-बासमती सफेद चावल के अवैध निर्यात के लिए किया गया था।

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