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भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने ली शपथ ”शब्दों से नहीं, काम करके दिखाएंगे”

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ ली। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 50वें चीफ जस्टिस को शपथ दिलाई। पिछले CJI यूयू ललित ने 11 अक्टूबर को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 17 अक्टूबर को स्वीकार कर लिया था। CJI के रूप में, जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक दो साल से अधिक का होगा। यह हाल के दिनों में CJI के लिए सबसे लंबे कार्यकाल में से एक है।

 जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी देश के CJI रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ 2 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। उनके पिता का बतौर CJI करीब सात साल और चार महीने का कार्यकाल रहा था, जो कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में किसी CJI का अब तक सबसे लंबा कार्यकाल है। 

जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़  के नाम अनगिनत ऐतिहासिक फैसले हैं। उनके फैसलों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि सब बताना संभव नहीं है। हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐतिहासिक फैसले में, जिसने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया पर फैसला लिया था। जस्टिस चंद्रचूड़ अपने उदार और प्रगतिशील निर्णयों के लिए जाने जाते हैं, सबसे हालिया निर्णय अविवाहित महिलाओं के 24 सप्ताह तक के गर्भपात की मांग के अधिकारों को बरकरार रखने वाला निर्णय है। वह संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने सहमति से समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और अनुच्छेद 21 के तहत निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। वह सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए सभी उम्र की महिलाओं के अधिकार को बरकरार रखने वाले फैसले का हिस्सा रहे। जस्टिस चंद्रचूड़ 5 जजों की बेंच के भी सदस्य थे, जिसने अयोध्या-बाबरी मस्जिद मामले का फैसला किया था।

जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले, वह 31 अक्टूबर 2013 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उनके न्यायिक करियर की शुरुआत 29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ हुई थी। वह 1998 से न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे। उन्हें 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए किया है। उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से LLB किया और हार्वर्ड लॉ स्कूल, यूएसए से LLM की डिग्री और न्यायिक विज्ञान (SJD) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में देश के 50वें सीजेआई के रूप में उन्हें शपथ दिलवाई।  सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ”शब्दों से नहीं, काम करके दिखाएंगे। आम आदमी के लिए काम करेंगे। बड़ा मौका है, बड़ी जिम्मेदारी है। आम आदमी की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है। आगे आप देखते जाइए, हम चाहे तकनीकी रिफॉर्म हो, रजिस्ट्री रिफॉर्म हो, ज्यूडिशियल रिफॉर्म हो, उसमें नागरिक को प्राथमिकता देंगे।” देश के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुरुआत सुप्रीम कोर्ट परिसर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके की। 

जस्टिस चंद्रचूड़ का 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए CJI के पद पर रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस उदय उमेश ललित की जगह ली है। जस्टिस ललित ने 11 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था। 

जस्टिस चंद्रचूड़ की सबसे विशिष्ट खासियत है कि वो धैर्य से सुनवाई करते हैं। कुछ दिन पहले जस्टिस चंद्रचूड़ ने लगातार दस घंटे तक सुनवाई की थी।  सुनवाई पूरी करते हुए उन्होंने कहा भी था कि काम ही पूजा है. कानून और न्याय प्रणाली की अलग समझ की वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो बार अपने पिता पूर्व चीफ जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा है। 

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