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केंद्र और दिल्ली सरकार ने श्रमिकों की नई मजदूरी दरें बढ़ाई

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (VDA) में संशोधन करके असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि की है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को जीवन-यापन की बढ़ती लागत से निपटने में मदद करना है। नई मजदूरी दरें एक अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होंगी। पिछला संशोधन अप्रैल, 2024 में किया गया था।

केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के अंतर्गत भवन-निर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, स्वीपिंग, क्लीनिंग, हाउसकीपिंग, खनन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा। न्यूनतम मजदूरी दरों को अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और उच्च कुशल के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मजदूरों की न्यूतम मजदूरी बढ़ाने का ऐलान किया है। उन्होंने अनट्रेंड मजदूरों को 18 हजार, सेमी ट्रेंड मजदूरों को 19 हजार और ट्रेंड मजदूरों को 21 हजार रुपये देने की घोषणा की है। श्रम मंत्री मुकेश अहलावत ने कहा कि न्यूमतम मजदूरी हमने सबसे ज्यादा की है।

सीएम आतिशी ने कहा, “कल हमारे श्रम मंत्री मुकेश अहलावत ने निर्णय लिया है कि अप्रशिक्षित श्रमिकों को 18 हजार 66,  सेमी प्रशिक्षित मजदूरों के लिए 19 हजार 29 रुपये और प्रशिक्षित श्रमिकों के लिए 21 हजार 17 रुपये दिएये जाएंगे। दिल्ली सरकार में मिनिमम वेजेज सबसे ज्यादा है। केजरीवाल सरकार लोगों को सम्मानित जीवन देती आई है। आने वाले चार महीने में आपको सम्मान भरा जीवन मिले इसी का प्रयास किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने ये भी कहा, “फ्री बिजली, पानी और अच्छी शिक्षा के अलावा दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए दिल्ली में मजदूरों की न्यूतम मजदूरी देश में सबसे ज्यादा कर दी है।”

‘गरीब विरोधी है बीजेपी’

मुख्यमंत्री आतिशी ने आगे कहा, “बीजेपी गरीब विरोधी है, मजदूर विरोधी है, किसान विरोधी है। ये वही बीजेपी है जिसने दिल्ली में किसानों को आने से रोकने के लिए दिल्ली हरियाणा के बॉर्डर पर पाकिस्तान बॉर्डर से भी ज्यादा फोर्स लगाई। वो पाकिस्तान से घुसपैठियों को रोकने के लिए इतनी शिद्दत से काम नहीं करते हैं।”

‘बीजेपी ने किसानों को दिल्ली आने से रोका’

उन्होंने ये भी कहा, “जितना किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के लिए करते हैं। ये वही बीजेपी है जिसने तीन काले कानून पास किए और जब किसान सिंधु बॉर्डर पर बैठे तो उनको राष्ट्र विरोधी कहा, खालिस्तानी कहा।  700 से ज्यादा किसानों की जान चली गई, लेकिन बीजेपी या पीएम मोदी के कान पर जूं भी नहीं रेंगी।”

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