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कैबिनेट ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को दी मंजूरी,मॉनसून सत्र में होगा संसद में पेश

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-राष्ट्रीय सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था के आधार पर सरकारी एजेंसियों को छूट मिल सकती है। कानून के प्रावधानों पर नज़र रखने के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाने का भी प्रावधान है।

नई दिल्ली। आपकी ‘प्राइवेसी की सुरक्षा’ बहुत जल्द देश का कानून बन जाएगी, और अगर किसी ने इसके साथ खिलवाड़ किया तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट मीटिंग में बुधवार को ‘डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ को  कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। संसद के मॉनसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश किया जाएगा। भारत के सभी व्यक्तिगत डेटा इसके कानूनी क्षेत्र में होंगे। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज़्ड किया गया हो। अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफ़ाइलिंग की जा रही है या वस्तु एवं सेवाएं दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा।

कंपनियों पर लगेगा 500 करोड़ का जुर्माना

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में प्राइवेसी या डेटा सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। बिल के मुताबिक नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। देश में अभी कोई सख्त कानून नहीं होने की वजह से डेटा रखने वाली कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं। हाल में देश के अंदर कई मौकों पर बैंक, बीमा और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कई डेटा लीक्स की खबरें सामने आई हैं। इससे डेटा सिक्योरिटी को लेकर लोगों का भरोसा डिगा है। अक्सर कंपनियां यूजर्स के डेटा के साथ कंप्रोमाइज करती है और उनकी अनुमति के बिना ही वह डेटा का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए करती हैं। इस बिल से डेटा के ऐसे इस्तेमाल पर रोक लगेगी।

भारत में तेजी से डिजिटाइजेशन हो रहा है, ऐसे में लोगों को ये भरोसा दिलाने के लिए जरूरत है कि उनका डेटा सुरक्षित है। इसलिए भी सरकार ये सख्त बिल लेकर आई है। इस कानून की भाषा में देश के अंदर पहली बार हर तरह के यूजर्स के लिए Her/She शब्द का प्रयोग किया गया है। इसके पीछे सरकार का कहना है कि ऐसा करके महिलाओं को देश के कानून में प्राथमिकता दी गई है।

नागरिकों को अधिकार

इस बिल के तहत व्यक्तिगत डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए सहमति दी गई हो। डेटा इकट्ठा करने वालों को उसकी सुरक्षा करनी होगी और उपयोग के बाद उसे डिलीट करना होगा, हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था के आधार पर सरकारी एजेंसियों को छूट मिल सकती है। कानून के प्रावधानों पर नज़र रखने के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाने का भी प्रावधान है।

डेटा प्रोटेक्शन बिल के प्रावधानों के मुताबिक अब अगर कोई यूजर सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट डिलीट करता है, तो कंपनियों को भी उसका डेटा डिलीट करना होगा। कंपनी यूजर के डेटा को अपने व्यवसायिक उद्देश्यों की पूर्ति तक के लिए ही रख सकेगी। यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार मिलेगा।

बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखते हुए नए बिल में किसी भी कंपनी या इंस्टीट्यूशन पर ऐसे डेटा को एकत्र करने से मनाही होगी, जो बच्चों को नुकसान पहुंचाती हो। वहीं टारगेटेट विज्ञापनों के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जाएगा। बच्चों के डेटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी बिल में पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।

सरकार ने जब इस बिल का पहला ड्राफ्ट पेश किया था, तब विरोध के चलते सरकार को इसे वापस लेना पड़ा। फिर सरकार ने इसमें संशोधन बाद दोबारा पेश किया और जनता से सुझाव मांगे। बिल को लेकर कई मंत्रालयों के बीच में आपस में चर्चा हुई और तब जाकर इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार हो पाया।

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