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जेल की जगह जुर्माना देकर बरी हो जायेंगे कारोबारी, लोकसभा में ‘जन विश्वास संसोधन विधेयक, 2023’ मंजूर

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-मोदी सरकार में 40,000 प्रविधानों और प्रक्रियाओं को बनाया गया सरल, 76 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने लिए  लाया गया विधेयक ,कई प्रविधानों को अपराधमुक्त करने से कारोबार में आसानी होगी-पीयूष गोयल

नई दिल्ली, पीटीआई। लोकसभा ने गुरुवार को ‘जन विश्वास  विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी। इसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों के 183 प्रविधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बडि़यों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है।

निचले सदन ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से स्वीकृति दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही लोकसभा ने 76 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने के लिए ‘निरसन एवं संशोधन विधेयक 2022’ को भी मंजूरी दे दी।

सरकार ने कहा कि यह कदम जीवन और व्यापार करने में आसानी के लिए उसके निरंतर प्रयासों का हिस्सा है।जन विश्वास विधेयक पेश करते हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कई प्रविधानों को अपराधमुक्त करने से कारोबार में आसानी होगी।

उल्लेखनीय है कि जन विश्वास विधेयक पारित होने से कई प्रविधानों में अब जेल की सजा नहीं होगी और कारोबारी जुर्माना देकर बच सकेंगे। कई मामलों में जुर्माना लगाने के लिए अदालती कार्यवाही की जरूरत नहीं होगी। कई बार छोटी-मोटी गलती के कारण कारोबारियों को अदालतों का चक्कर लगाना पड़ता था।

बड़ी संख्या में छोटी-मोटी गड़बडि़यों को अपराध के दायरे से बाहर करने से व्यापार करना आसान होगा। पीयूष गोयल ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लगभग 40,000 प्रविधानों और प्रक्रियाओं को या तो सरल बना दिया गया या हटा दिया गया, जिनसे लोगों के लिए समस्याएं पैदा होने की आशंका थी।

निरसन एवं संशोधन विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पुराने कानूनों को निरस्त करना सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत जीवन के साथ-साथ व्यापार करने में लोगों को आसानी होगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अब तक 1,486 कानूनों को निरस्त कर चुकी है और इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद निरस्त कानूनों की संख्या 1,562 हो जाएगी। संप्रग सरकार पर तंज कसते हुए मेघवाल ने कहा कि उसके समय में एक भी गैरजरूरी कानून को निरस्त नहीं किया गया था।

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