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दर्शक नहीं ला सकते सिनेमा हॉल में बाहरी भोजन, मालिकों को व्यापार का है मौलिक अधिकार- सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सिनेमा हॉल जाकर फिल्मों का मजा लेने वाले दर्शकों की जेब और ढीली होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट सिनेमा हॉल को निजी संपत्ति मानती है। अदालत ने कहा, मालिकों को बाहरी खान-पान पर रोक लगाने का अधिकार है। ऐसे में बाहरी चीजों पर रोक के कारण लोगों को स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक जैसी चीजों के लिए एक्स्ट्रा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

मंगलवार को अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिनेमा हॉल निजी संपत्ति है ऐसे में उस परिसर में सिनेमा हॉल के मालिक फिल्म देखने वालों को बाहरी खाना या पेय पदार्थ ले जाने से रोक सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि सिनेमा हॉल का मालिक खाने-पीने की चीजों की बिक्री के लिए नियम और शर्तें तय करने का हकदार है।

सिनेमा हॉल मनोरंजन की जगह है, जहां लोग फिल्म देखने और एंजॉय करने जाते हैं। इसी लिहाज से सिनेमा हॉल बनाए गए हैं। लेकिन अक्सर देखा गया है कि कई लोग स्नैक्स आइटम लेकर आते हैं, जिससे कि वह फिल्म भी देख सकें और भूख भी मिटा सकें। लेकिन अब इन सब पर सख्त तौर पर मनाही की गई है। सिनेमाघरों में बाहर से खाने-पीने की चीजों को ले जाने की इजाजत देने से जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

अदालत ने खाने-पीने की चीजों को रेगुलेट करने के मुद्दे पर कहा कि हॉल परिसर के अंदर, मालिकों को बाहरी खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने का पूरा अधिकार है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह दर्शकों की पसंद और इच्छा होती है कि वह किस थिएटर में फिल्म देखने जाएं। वैसे ही यह हॉल प्रबंधन का अधिकार है कि वह वहां क्या-क्या नियम बनाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह बात कही। ” पीठ ने स्पष्ट किया कि सिनेमाघरों को माता-पिता द्वारा अपने शिशुओं के लिए लाए जाने वाले भोजन पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

कैसे आपत्ति कर सकते हैं सिनेमा हॉल मालिक

सुनवाई के दौरान, CJI ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, “सिनेमा निजी संपत्ति हैं। मालिक निषेध के अधिकारों पर निर्णय ले सकता है। यदि कोई सिनेमा हॉल के अंदर जलेबी (एक मीठा पकवान) ले जाना चाहता है, तो मालिक को उस पर आपत्ति करने का अधिकार है। मालिक आपत्ति करते समय यह कह सकता है कि जलेबी खाने के बाद वह व्यक्ति कुर्सी से हाथ पोंछ सकता है और बैठने की जगह बेवजह बर्बाद कर सकता है।”

रद्द किया जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सिनेमा हॉल प्रबंधन की निजी संपत्ति है। अगर कोई हॉल में जलेबी लेकर जाना चाहे, तो सिनेमा हॉल के मालिक उसे यह कहते हुए मना कर सकते हैं कि अगर जलेबी खाकर दर्शक ने सीट से अपनी चाशनी वाली अंगुलियां पोंछ लीं, तो खराब हुई सीट का खर्च कौन देगा? सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है, जिस आदेश में हाईकोर्ट ने बाहरी खाना पीना को हॉल में ले जाने की इजाजत दी थी।

सिनेमा हॉल मालिकों को व्यापार का मौलिक अधिकार

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “उच्च न्यायालय ने इस तरह के आदेश को पारित करने में अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया। इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि राज्य के पास नियम बनाने की शक्ति है लेकिन सिनेमा हॉल मालिकों को व्यापार का मौलिक अधिकार है और नियम इसके अनुरूप होने चाहिए।

सिनेमा देखने वालों ने कहा- भोजन पर रोक नहीं लगा सकते

बता दें कि देश की सबसे बड़ी अदालत जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के 2018 के फैसले को चुनौती देने वाले थिएटर मालिकों और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर अपीलों के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय के समक्ष मामले में मूल याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कहा, “कुछ एकरूपता होनी चाहिए। फिल्म देखने वाले टिकट खरीदते ही सिनेमा के साथ एक अनुबंध में प्रवेश करते हैं। निषेधाज्ञा छपने के अभाव में बाहरी भोजन वर्जित नहीं किया जा सकता।”

सिनेमा हॉल में प्रवेश पर मालिकों का आरक्षण हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने इस दलील का विरोध किया। सिनेमा हॉल मालिकों की ओर से पेश हो रहे एडवोकेट विश्वनाथन ने कहा, सिनेमा हॉल के अहाते सार्वजनिक संपत्ति नहीं हैं और ऐसे हॉल में प्रवेश सिनेमा हॉल मालिकों द्वारा आरक्षित है।

पीने का पानी होना चाहिए स्वच्छ

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि सिनेमाघरों में छोटे बच्चों के लिए खाना और सभी के लिए पीने का पानी स्वच्छ और मुफ्त होना चाहिए। साथ ही माता-पिता के साथ जाने वाले छोटे बच्चों के लिए वाजिब मात्रा में खाना ले जाने की इज्जात दें।

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