भोपाल। मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग ने GST पंजीयन में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है। मध्यप्रदेश की स्टेट जीएसटी एजेंसी ने प्रदेश की 8 फर्म का मामला पुलिस के एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) को सौंपा है। यह फर्म फर्जी ID प्रूफ से जीएसटी पंजीयन प्राप्त कर कागजों में चल रही थी। यह न तो कोई माल मंगाती है और न ही बेचती है। फिर भी बिल जारी कर रही थी। नगद लेन-देन के चलते टेरर फंडिंग की आशंका के चलते एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जालसाजों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 2022 में 350 फर्मो के GST पंजीयन करा लिए। जांच में दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर इनके पंजीयन निरस्त कर दिए गए हैं। इन्हीं में से 8 फर्मो के संचालकों के विरद्ध एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (ATS) ने दो दिन पहले प्रकरण कायम कर जांच शुरू की है। इसके पीछे संगठित गिरोह का पता चला है।
जालसाजों ने माल की बिक्री की फर्जी बिलिंग दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया है। इस राशि का उपयोग आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किए जाने का शक है। अधिकारियों का कहना है कि अभी करीब 550 और संदिग्ध पंजीयनों की जांच की जा रही है। इनमें भी ज्यादातर फर्जी हो सकते हैं। विभाग ने डेटा एनालिटिक्स के आधार पर जनवरी से नवंबर 2022 के बीच 5500 संदिग्ध पंजीयनों को चिह्नित किया था।
जांच के बाद 900 पंजीयन ऐसे मिले, जिनमें गड़बड़ी का बहुत ज्यादा अंदेशा था, बाकी सही पाए गए। इन्हीं 900 में से 350 के पंजीयन निरस्त किए गए हैं। जांच के बाद बाकी पर भी कार्रवाई होगी। इसमें पंजीयन निरस्त करने से लेकर FIR भी कराई जा सकती है। पहली बार इतना बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पते ऐसे लिखे कि गड़बड़ी पकड़ना मुश्किल था। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जालसाजों ने पंजीयन कराने के लिए ID प्रूफ के तौर पर फर्जी बिजली बिल लगाए हैं।
गड़बड़ी करने वाले ज्यादातर गुजरात
इन बिलों में छेड़छाड़ कर IVRS नंबर फर्जी लिखा गया है। पता इस तरह से लिखा गया है कि कोई उस जगह पर पहुंच ही नहीं सकता। उदाहरण के तौर पर अपार्टमेंट, कालोनी और एरिया के नाम की जगह तीन अलग-अलग कालोनियों के नाम लिख दिए गए। एक साथ कई राज्यों में करते थे आवेदन, ज्यादातर गुजरात केअधिकारियों के अनुसार, गड़बड़ी करने वाले ज्यादातर गुजरात के हैं। मध्य प्रदेश ही नहीं, सभी राज्यों में पंजीयन के लिए वह आवेदन करते थे। इसके पीछे उनका उद्देश्य यह था कि हो सकता है किसी राज्य में गहराई से दस्तावेजों की जांच ना हो, जिससे पंजीयन कराने में वह सफल हो जाएं।
इसके बाद फर्जी बिलिंग दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर राशि भी हासिल करते रहें। हमने 900 संदिग्ध पंजीयन चिह्नित किए हैं। 350 के पंजीयन निरस्त कर आठ मामले एटीएस को दिए गए हैं। बाकी की जांच चल रही है। इसके पीछे संगठित गिरोह होने का अंदेशा है।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि जीएसटी के पंजीयन में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के सबूत मिले हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी का पंजीयन प्राप्त किया था। प्रथमदृष्टया वह भौतिक रूप से कोई व्यवसाय नहीं कर रहे थे। कागजों पर अपना व्यापार चला रहे थे। यह फेक बिलिंग भी करते थे। ऐसी 8 फर्म पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। 5 फर्म इंदौर, दो भोपाल और एक फर्म ग्वालियर की है। फर्जी ID प्रूफ कहां और कैसे बना, इसकी जांच पुलिस कर रही है। नाम पते भी गलत होने को जांच के दायरे में लिया है।
गलत तरीके से टैक्स क्रेडिट लेने वाली फर्म पर स्टेट GST विभाग की लंबे समय से नजर थी। इन फर्मों पर छापामार कार्रवाई की गई। यह कंपनियां न माल मंगा रही थी और न ही भेज रही थी। फर्जी बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) जनरेट कर रही थी। फिर ITC को किसी अन्य फर्म को ट्रांसफर कर नगद राशि ले लेते थे। इसे ही सर्कुलर क्रेडिट कहते हैं। इस आधार पर फर्म सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रही थी। अब इन फर्मों के लेन-देन में टेरर फंडिंग के पहलू की भी जांच की जा रही है।