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सेना की साइबर सुरक्षा खतरे में,आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत उच्च स्तरीय जांच के आदेश

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हनी ट्रैप के जरिए जवानों को ब्‍लैकमेल करना दुश्मन देश का मक़सद, कुछ अधिकारियों के शामिल होने की आशंका

नई दिल्ली (आईएएनएस)। सेना की साइबर सुरक्षा खतरे में होने की सूचना है। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। मंगलवार को सूत्रों ने बताया कि जासूसी के इस मामले के तार दुश्मन देश से जुड़े हैं। इसमें सेना के कुछ अधिकारियों के शामिल होने की आशंका है।
पड़ोसी देश की ओर से इस घटना को वाट्सएप ग्रुप के जरिये अंजाम दिया जा रहा था। देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले से संबंधित इस घटना में सैन्य अधिकारियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
सैन्य अधिकारियों के हवाले से सूत्रों ने बताया कि यह मामला आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत आता है, इसलिए इससे सख्ती से निपटा जा रहा है। जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सेना के अधिकारियों ने जासूसी से जुड़े इस मामले को लेकर ज्यादा कुछ कहने में असमर्थता जताई।

उनका कहना था कि जांच की संवेदनशीलता को देखते हुए वे किसी तरह की अटकलबाजी से बचना चाहते हैं। इस मामले में सेना के अधिकारियों के शामिल होने के बारे में भी उन्होंने यह कहते हुए कुछ बोलने से इन्कार कर दिया कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।
साइबर अपराधी रोज ठगी के नए तरीके अख्तियार करते है। ऐसा ही साइबर ठग अब लोगों को फंसाने के लिए हनी ट्रैप का इस्तेमाल कर रहे है। इसमें लड़कियां आपसे सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ती है। उसके बाद अश्लील विडियो कालिंग कर रिकार्ड कर लेती है और उसके बाद ब्लैकमेल कर पैसे की उगाही करती है। कई बार सेना के जवानों को हनी ट्रैप के जरिए ब्‍लैकमेल किया जाता है और उनसे देश से जुड़े गुप्‍त दस्‍तावेज की मांग की जाती है।

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