-सहायक पुलिस आयुक्त इंदिरापुरम द्वारा दी गई परमिशन पर डीसीपी ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा भी कि यह नियमों के खिलाफ है। डीसीपी नीमिष पाटिल ने नियमों का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ करवाई और परिसर से तत्काल अतिक्रमण हटाने का आश्वासन भी दिया है।
गाजियाबाद। पुलिस और बदमाशों के गठजोड़ ने अपराध को बेलगाम कर दिया है। सोच से कहीं अधिक कानून की धज्जियां गाजियाबाद में उड़ाई जा रही है। एक ऐसे ही प्रकरण की खुल रही परतें दो सरकारी विभ विभागों के बीच कानूनी टकराव की स्थिति में ला दिया है। सहायक पुलिस आयुक्त का परमिशन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और न्यायालय को चुनौती दे रहा है।
मामला निर्माणाधीन और विवादित इंन्दिरापुरम् हैबिटेट सेन्टर (आईएचसी) में गैर कानूनी रुप से संचालित दुकानों से जुड़ा है। आईएचसी के किसी वित्तिय लेनदार ने अपनी देनदारी न चुका पाने पर 16-04-2019 को एनसीएलटी में आईएचसी के खिलाफ दिवाला आवेदन दायर किया गया था। तब से कार्पोरेट दिवाला प्रक्रिया के तहत एनसीएलटी में चल रहा है। दिवालिया कार्यवाही में 2000 से अधिक लेनदारों के हितों की सुरक्षा करने के उद्देश्य से एनसीएलटी ने पेशेवर नरेन्द्र शर्मा को आरपी नियुक्त किया है।
30 अप्रैल 2022 को आईएचसी बॉयरस् वेलफेयर एसोसिएसन ने पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया है कि नरेन्द्र शर्मा (आरपी) ने अवैध कमाई की नियत से अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए एक साजिस के तहत जेल में बंद ‘नंदा पर्वत फिनलीज’ कम्पनी के प्रमोटरों/निदेशकों के सहयोगी एक अन्य निदेशक सुमित शर्मा को आईएचसी का उपाध्यक्ष बना दिया जो, कि वर्तमान में आईएचसी के प्रति उत्तरदायी है।
आईएचसी बॉयरस् वेलफेयर एसोसिएसन के अध्यक्ष अतुल कुमार रावत ने शिकायती पत्र में यह भी अरोप लगाया था कि नरेन्द्र शर्मा और सुमित शर्मा दोनों ही अपराधी प्रवृत्ति वाले हैं। दोनों ही कई घपले -घोटाले कर सम्पत्तियों पर अवैध कब्जा करने और कालेधन को सफेद करने में जुटे हैं। उन्होंने शिकायती पत्र में बताया है कि एसोसिएशन की आपत्ति के बावजूद दोनों आईएचसी परिसर में नियम और कानून की धज्जियां उड़ाते हुए दुकानें संचालित करवा रहे हैं।
आईएचसी में लाखों रुपये निवेशक करने वाले पीड़ित अमरजीत तनेजा ने बताया कि इस बाबत पुलिस आयुक्त अजय मिश्रा से हमने शिकायत की है। और नियमानुसार डीसीपी ट्रांस हिंडेन नीमिष पाटिल से तमाम दस्तावेजों के साथ 4 जनवरी 2024 को मुलाकात की। उन्होंने सहायक पुलिस आयुक्त इंदिरापुरम द्वारा दी गई परमिशन पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा भी कि यह नियमों के खिलाफ है। डीसीपी नीमिष पाटिल ने नियमों का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ करवाई और परिसर से तत्काल अतिक्रमण हटाने का आश्वासन भी दिया है।
अमरजीत तनेजा ने द्रष्टा से बताया कि इंन्दिरापुरम् हैबिटेट सेन्टर की यदि ठीक ढंग से जांच कर दी गयी तो यह न केवल 14 हजार करोड़ रुपये का घोटाला है बल्कि गाजियाबाद में रियल स्टेट का सबसे बड़ा घोटाला निकलेगा। आर्थिक अपराध को रोकने वाली सरकारी एजेंसिया यदि सक्रिय हुई तों कई अधिकारी और बिल्डरों का दुबई में बैठे अपराधियों से कनेक्शन भी निकलेगा।
बहरहाल,आयुक्त अजय मिश्रा वाराणसी में एसएसपी रहते हुए अतिक्रमण करने वालों की मंशा को कूचल डाला और अपराधियों पर लगाम कसी थी। गाजियाबाद में कानून की धज्जियां उड़ा रहे अपराधियों से पीड़ित निवेशक आयुक्त अजय मिश्रा और उनकी टीम से न्याय की उम्मीद लगाये बैठे है।