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आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा ने नहीं दिया इस्तीफा ,उन पर चल सकता है महाभियोग

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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट जज कैश कांड में आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा ने निर्णय ले लिया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने आरोपी जस्टिस वर्मा को 9 मई तक दो विकल्प दिए थे। पहला- आरोपी जस्टिस अपने पद से इस्तीफा दे और दूसरा या तो महाभियोग के लिए तैयार रहें।अब जस्टिस वर्मा अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यह मामला आगे की कार्रवाई के लिए CJI द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भी भेजा गया था। जिसमें CJI ने कहा था, यदि जस्टिस वर्मा इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो CJI द्वारा संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की जा सकती है।

3 जजों की जांच कमिटी का हुआ था गठन

चीफ जस्टिस खन्ना ने 22 मार्च को मामले की आगे जांच के लिए 3 जजों की जांच कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी के सदस्य थे- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन।

25 मार्च को जांच की शुरुआत करते ही कमिटी ने 30 तुगलक क्रीसेंट यानी जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले का दौरा किया। तीनों जजों ने उसे कमरे का मुआयना किया, जहां आग लगी थी। कमिटी ने घटनास्थल की वीडियोग्राफी भी करवाई। जांच कमिटी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर, दिल्ली फायर विभाग के प्रमुख और घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों, फायर विभाग से बात की। जस्टिस वर्मा के स्टाफ, सुरक्षा कर्मी और परिवार के सदस्यों से भी कमिटी ने बात की।

कमिटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा का बयान दर्ज किया

कमिटी के सदस्यों ने जस्टिस यशवंत वर्मा से मिल कर उनका बयान भी दर्ज किया। कमिटी के सामने एक अहम जिम्मा यह भी था कि वह जस्टिस वर्मा और उनके स्टाफ के 6 महीने के कॉल डाटा रिकॉर्ड की तकनीकी जांच करवाए। इसका मकसद यह जानना था कि उनकी किन-किन लोगों से बातचीत होती रही है। जस्टिस वर्मा और उनके करीबी लोगों का वित्तीय लेनदेन भी जांच के दायरे में था।

क्या है इन हाउस कमिटी की रिपोर्ट ?

जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थे। पैनल ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंपी थी। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के आवास पर नकदी की मौजूदगी की पुष्टि की गई, जबकि जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे उनके खिलाफ “साजिश” बताया था। चीफ जस्टिस ने उनका जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा है। चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से चर्चा के बाद यह कदम उठाया है। यह कदम जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर 14 मार्च 2025 को आग लगने की घटना के बाद कथित रूप से नकदी बरामद होने के आरोपों की जांच के बाद उठाया गया है।

4 मई को CJI को सौंपी थी रिपोर्ट-

4 मई को यह रिपोर्ट पाने के बाद चीफ जस्टिस ने जस्टिस यशवंत वर्मा से 2 दिन में जवाब देने को कहा था। जस्टिस वर्मा से कहा गया था कि वह इस्तीफा देने पर विचार करें। जिस तरह से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चीफ जस्टिस ने मामले से अवगत करवाया है, उससे साफ लगता है कि जस्टिस वर्मा ने त्यागपत्र देने से मना कर दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट से अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जा चुके जस्टिस वर्मा के आधिकारिक निवास पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। इसके बाद वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश मिला था। मामले में पूरी पारदर्शिता बरतते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने घटना के वीडियो समेत सभी उपलब्ध तथ्य सार्वजनिक कर दिए थे।

आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग

मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने आरोपी जस्टिस वर्मा को 9 मई तक दो विकल्प दिए थे। पहला- आरोपी जस्टिस अपने पद से इस्तीफा दे और दूसरा या तो महाभियोग के लिए तैयार रहें। आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा के अपने पद से इस्तीफा नहीं देने का विकल्प चुना है। चीफ जस्टिस ने उनका जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा है। चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से चर्चा के बाद यह कदम उठाया है। अब जानकारों की राय में यह जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का पहला कदम नजर आ रहा है।

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