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AAP ने अवैध फंड इकट्ठा करने के लिए दिल्ली आबकारी नीति बनाई – ED

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नई दिल्ली।दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले के मामले में ED की ओर से दाखिल चार्जशीट पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने मामले से जुड़े आरोपियों को समन जारी कर दिए हैं। इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट 5 जनवरी को सुनवाई करेगा। दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले के मामले में ED ने समीर महेंद्रु के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पिछली सुनवाई में ED ने कहा था कि दिनेश अरोड़ा ने बयान में कहा था हैदराबाद की 8 जोन को लेकर बैठक हुई थी, जिसमें विजय नायर और समीर महेंद्रू शामिल थे। विजय नायर के कहने पर इंडो स्प्रिट जो ब्लैक लिस्ट कम्पनी है उसको आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी किया।

दिल्‍ली आबकारी नीति मामले में अब तक की ईडी की जांच और आरोप पत्र के हिसाब से आम आदमी पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 इस हिसाब से बनाई गई थी, जिससे आम आदमी पार्टी अवैध रूप से फंड इकट्ठा कर सके। जानबूझकर इस पॉलिसी में कमियां रखी गई थी, जिससे गैर कानूनी काम किए जा सके, जो कि पॉलिसी बनाने वालों का इरादा साफ करती है।

इसमें कहा गया कि एक तरफ नई आबकारी नीति बनाने की पीछे यह दावा किया गया कि इससे दिल्ली में शराब माफियाओं पर रोक लगेगी, लेकिन बैक डोर से इसमें थोक विक्रेताओं को 12 फ़ीसदी का मार्जिन दिया गया, जिसमें से छह फ़ीसदी आम आदमी पार्टी के नेताओं को जाना था।

14 करोड़ बोतलें, 192 करोड़ मुनाफा

आरोप पत्र के मुताबिक एक आरोपी होलसेल इंडोस्पिरिट ने करीब 14 करोड़ शराब की बोतलें बेचीं और उसे 192 करोड़ का मुनाफा हुआ, लेकिन एक होलसेलर जो सरकार का मनपसंद नहीं था वो सिर्फ 21685 का ही फायदा कमा पाया। इंडोस्पिरिट को मुनाफा इसलिए हुआ क्योंकि मैन्नुफैक्चरर तय कर रहे थे कि किसे सप्लाई दी जाएगी। इस मामले में एक अन्य आरोपी Pernod Ricard को विजय नायर आदेश देता था कि इंडो स्पिरिट को शराब सप्लाई करनी है। दिल्ली की आबकारी नीति के आड़ में एक शराब माफियाओं का काटल चल रहा था और कुछ निर्माताओं और विक्रेताओं को सरकार की मदद से मुनाफा पहुंचा कर बैक डोर से कैशबैक लिया जा रहा था।

घोटाले का आरोपी विजय नायर रहा केजरीवाल का करीबी

ईडी की जांच के मुताबिक विजय नायर ने कुछ थोक विक्रेताओं पर जबरन दबाव बनाकर उनका लाइसेंस सरेंडर कराया। फिर शराब मैन्युफैक्चरर्स को अपनी मर्जी के होलसेलर लाइसेंस चुनने के लिए कहा जिससे अपने लोगों को मुनाफा हो सके। विजय नायर जो कि इस पूरे शराब नीति घोटाले का कर्ताधर्ता है वह आम आदमी पार्टी का कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सबसे खास सहयोगी है। ईडी को दिए गए बयान में विजय नायर ने यह बताया है कि वह अरविंद केजरीवाल के कैंप ऑफिस से ही काम करता है।

सरकारी बंगले में रह रहा है आरोपी

विजय नायर 2020 से दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत को अलाउड हुए सरकारी बंगले में रह रहा है और उसका इसके अलावा दिल्ली में कोई घर नहीं है। जबकि खुद मंत्री कैलाश गहलोत नजफगढ़ में अपने निजी मकान में रहते हैं। कहा गया है कि विजय नायर को एक ग्रुप की तरफ से आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मिली, जो दक्षिण भारत से जुड़ा हुआ है जिसके महत्वपूर्ण लोग हैं मांगुंटा श्रीनिवासुलू रेड्डी, राघव, शरथ रेड्डी और के कविता (KCR की बेटी)। एक एग्रीमेंट के तहत यह सारे पैसे एडवांस में दिए गए थे। इसके बदले में इस ग्रुप को दिल्ली में व्होलसेलर और रिटेल पॉलिसी में मनचाहा फायदा मिला। रिश्वत लेने के लिए साउथ ग्रुप के पार्टनर स्कोर इंडोस्पिरिट में 65 फ़ीसदी हिस्सेदारी दी गई, जिसका कर्ताधर्ता आरोपी समीर महेंद्रु है। विजय नायर ने वादा किया था कि Pernod Ricard का सारा बिजनेस इंडो स्पिरिट को दिया जाएगा।

ED की चार्जशीट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम है। ED ने कोर्ट में ये दावा किया है कि विजय नायर ने बताया कि उसने इस नेक्सस को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिय़ा और कैलाश गहलोत के कहने पर किया। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर यानी GOM के द्वारा जो रिपोर्ट तैयार की गई थी। उसमें मनीष सिसोदिया, कैलाश गेहलोत और सतेंद्र जैन शामिल थे।

GOM ने ही अपनी रिपोर्ट 22/3/2021 को तैयार की थी, जो कि कॉउंसिल ऑफ मिनिस्टर के सामने 22/3/2021 को ही पेश कर दी गई थी, जिसके बाद कॉउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने एक्साइज विभाग को इसी रिपोर्ट को लागू कर 2021-22 की नई पालिसी बनाने के निर्देश दिए थे।

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