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सुप्रीम कोर्ट में आधार- मतदाता पहचान पत्र लिंकिंग को चुनौती, याचिका पर कल होगी सुनवाई

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नई दिल्ली। आधार और मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने वाले विवादास्पद कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे निरस्त करने की मांग की है। याचिका में सुरजेवाला ने कानून को असंवैधानिक और निजता के अधिकार और समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है। इस मामले पर अदालत सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि विपक्षी दलों की तरफ से लगातार इसका विरोध किया जाता रहा है। विपक्षी दलों का कहना रहा है कि अभी देश में आधार व्यवस्था में कई खामियां हैं, अगर इन्हें वोटर आई कार्ड से लिंक किया जाता है तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीब मतदाताओं को होगा। ‘

बता दें कि चुनावी सुधार कार्यक्रम के अंतरगत चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को इलेक्टोरल डेटा के साथ जोड़ने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका उद्देश्य एक ही व्यक्ति के नाम से कई वोटर आईडी और चुनावी प्रक्रिया को एरर फ्री बनाना बताया जा रहा है। इस संशोधित कानून के मुताबिक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर किसी से भी उसका आधार नंबर मांग सकता है।

सरकार का कहना है कि इस कानून से ऐसी वोटर आईडी को निरस्त करने में मदद मिलेगी जो कि फेक हैं। एक ही व्यक्ति की वोटर आईडी अलग-अलग राज्यों में है। वहीं विपक्ष का कहना है कि अगर आधार से वोटर आईडी को लिंक किया गया तो बहुत सारे ऐसे लोग भी वोट डालेंगे जो कि भारत के नागरिक ही नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि इस कानून को शीत सत्र में बिना किसी सार्थक बहस के ही पास कर दिया गया। 24 घंटे के अंदर दोनों ही सदनों में कानून को पास कर दिया गया।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने मई महीने में कहा था कि कि मतदाताओं के लिए आधार की जानकारियां साझा करना स्वैच्छिक होगा लेकिन ऐसा न करने वाले लोगों को ‘‘पर्याप्त वजहें” बतानी होगी.”कांग्रेस के अलावा एमके स्टालिन की डीएमके, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और बसपा ने नए कानूनों का विरोध किया है। बताते चलें कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन पर विधेयक के विरोध के दौरान राज्यसभा की सभापीठ पर नियम पुस्तिका फेंकने का आरोप लगने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मुद्दे पर कहा है कि आधार नागरिकता नहीं बल्कि निवास का प्रमाण था। उन्होंने कहा, “यदि आप मतदाता से आधार कार्ड मांग रहे हैं, तो आपको केवल एक दस्तावेज मिलता है जो निवास को दर्शाता है। आप संभावित रूप से गैर-नागरिकों को मतदान का अधिकार दे रहे हैं। ”
कांग्रेस के अलावा डीएमके के एमके स्टालिन और एनसीपी चीफ शरद पवार, शिवसेना और बीएसपी ने भी इस कानून का विरोध किया था। बिल का विरोध करने और राज्य सभा की चेयर पर रूलबुक फेंकने के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड कर दिया गया था। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, आधार का मतलब निवास का सबूत होता है न कि नागरिकता का। अगर आप किसी वोटर से आधार मांगते हैं तो इसमें उसका निवास दिखायी देगा। इसका मतलब आप गैर नागरिक को भी वोटिंग का अधिकार दे रहे हैं।

हालांकि केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि वोटर आईडी को आधार से लिंक करना ऐच्छिक होगा। यह जरूरी नहीं होगा। जो भी व्यक्ति भारत का नागरिक है और उसकी उम्र 18 साल से ऊपर है। अगर उसका नाम चुनावी सूची में दर्ज है तो वह वोट दे सकता है।

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