नई दिल्ली। विपक्ष ने अदाणी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति की मांग को लेकर संसद के साथ ही सड़क पर उतरकर सरकार से आर-पार की सियासी लड़ाई के इरादे साफ कर दिए हैं। इसी क्रम में बुधवार को कई विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने जांच एजेंसी से शेल कंपनियों के जरिए से धन शोधन समेत अन्य भ्रष्ट गतिविधियों के आरोपों को लेकर अदाणी समूह के खिलाफ जांच शुरू करने की मांग की है।
ED को लिखे गए पत्र में विपक्षी नेताओं ने कहा है कि हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कैसे हाल के दिनों में, ईडी भी कथित राजनीतिक पक्षपात के मामलों को आगे बढ़ाया है। जिसमें SEBIऔर CBI के साथ समवर्ती अधिकार क्षेत्र साझा करना भी शामिल है। विपक्षी नेताओं ने अपने पत्र में लिखा कि हम यह बात जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमीशन के सीमीत अधिकारों को बदला नहीं जा सकता है। हम इसे इसलिए कह रहे हैं ताकि ईडी को बताया जा सके कि वह इन या अन्य आधारों पर अपने अधिकार क्षेत्र को बदल नहीं सकता है और न ही छोड़ सकता है। राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान पर संसद में सत्ता पक्ष के संग्राम में अदाणी मुद्दे की आंच धीमी न पड़ जाए इसके मद्देनजर विपक्षी दलों के सांसदों ने भी रणनीति बदलते हुए बुधवार को संसद से ईडी दफ्तर तक मार्च निकालने की कोशिश की।
बता दें कि पुलिस की भारी नाकेबंदी के चलते विपक्षी सांसदों का मार्च विजय चौक से आगे निकल नहीं पाया तब 18 विपक्षी दलों के नेताओं ने ईडी को ई-मेल से शिकायती पत्र भेज अदाणी समूह के शेयरों की कीमतों में हेरफेर की जांच की मांग की। विपक्षी नेताओं ने ईडी को भेजे इस पत्र में अपने अदाणी समूह पर कथिततौर पर शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग और कई अन्य अनियमितता के आरोप लगाते हुए ईडी निदेशक से इसकी जांच शुरू करने का अनुरोध किया है।
TMC ने चुनी अपनी अलग राह
मल्लिकार्जुन खरगे ने विरोध मार्च रोके जाने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि विपक्षी सांसदों को अदाणी मामले की व्यापक जांच कराने की शिकायत दर्ज कराने से रोका जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस पहले से ही अदाणी मुद्दे पर अपनी अलग राह पर चल है, मगर विपक्ष के इस मार्च में एनसीपी के सांसद शामिल नहीं हुए।
विपक्षी नेताओं ने लगाया आरोप
विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, राजनीतिक भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी के माध्यम से स्टॉक-कीमत में हेरफेर, और एकल कॉर्पोरेट समूह को लाभ पहुंचाने के लिए सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग/एकाधिकार के गंभीर और दूरगामी आरोप शामिल हैं। पत्र में, नेताओं ने आरोप लगाया कि अदाणी समूह की कंपनियों पर “कृत्रिम रूप से स्टॉक वैल्यूएशन को बढ़ाने का भी आरोप है।
इस पत्र को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर भी शेयर किया है। साथ ही उन्होंने लिखा कि 16 विपक्षी दलों के नेता और सांसद, जोकि अदाणी मामले की जांच की मांग करते हुए एक शिकायत पत्र ईडी को सौंपने जा रहे थे, उन्हें दोपहर में ईडी कार्यालय पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया।
अदाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए लिखे विपक्षी नेताओं के संयुक्त पत्र में नेता विपक्ष खरगे के अलावा भाकपा, माकपा, जदयू, शिवसेना (यूबीटी), राजद, द्रमुक, झामुमो, आईयूएमएल, वीसीके, केरल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी नेताओं ने ईडी प्रमुख से कहा है कि ईडी अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता। हम अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कैसे हाल के दिनों में ईडी ने भी कथित राजनीतिक पक्षपात के मामलों को उत्साहपूर्वक आगे बढ़ाया है।
जेपीसी की मांग पर अड़ा विपक्ष
बता दें कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल अदाणी मामले की जांच के लिए जेपीसी की मांग कर रहे हैं। मौजूदा बजट सत्र में भी विपक्षी दल अदाणी मामले पर मुखर हैं। वहीं सत्ता पक्ष लंदन में दिए बयान को लेकर राहुल गांधी से माफी की मांग कर रहा है। जिसके चलते संसद नहीं चल पा रही है। कांग्रेस अदाणी मामले पर खासी सक्रिय होकर विरोध कर रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिशों में जुटी है और देशभर में प्रदर्शन कर रही है। विभिन्न प्रदेशों में कांग्रेस कमेटी अदाणी मामले पर विरोध मार्च निकाल रही हैं। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी सदन में लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।