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न्याय का दम घोट देती है सीधी पुलिस

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आर्धिक दंड नही है काफी, आकाश सिंह राजपूत को बर्खास्त कर भेजा जाए जेल

-उमेश तिवारी –
सीधी। 15 अगस्त 2018 को दरमियानी रात को ग्राम हनुमानगढ़ में लगभग पांच लाख रुपये कीमती के जेवरात की चोरी हुई थी जिस पर पुलिस चौकी सेमरिया थाना चुरहट में अपराध क्रमांक 325/ 18 धारा 457, 380 ता. हि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना अधिकारी उप निरीक्षक आकाश सिंह राजपूत तत्कालीन चौकी प्रभारी सेमरिया वर्तमान थाना प्रभारी भुईमाड द्वारा अभियुक्त अनसूया सोनी से उपकृत होकर उसके अनुकूल कार्यवाही करते हुए मेमोरेंडम में त्रुटि की गई। आरोपी अनसूईया सोनी को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया गया जिससे अपराधी को अग्रिम जमानत का लाभ मिल गया, अभियुक्त अनसूईया सोनी द्वारा चोरी का खरीदा गया मशरूका सोना-चांदी भी जप्त नहीं करना एवं चोरी गया मशरूका काफी कम मात्रा में जप्त कर विवेचना कार्यवाही में लापरवाही बरती गई।

‘मजबूत पुलिस और विश्वसनीय पुलिस’ का दावा करने वाली पुलिस, घटनाओं में पीड़ित के साथ हुई वारदात से इतर अपनी सहूलियत के हिसाब से थानों में अपराध दर्ज करती है और विवेचना करती है। थाने में दर्ज आपराधिक प्रकरण को देखने से सामने आता है कि किसी प्रकरण में पुलिस ने लूट की वारदात में मारपीट की धाराएं लगाई तो, किसी के साथ हथियार के साथ मारपीट करने पर पुलिस ने हथियार के इस्तेमाल की बात को ही विवेचना से गायब कर दिया, लूट की जगह चोरी की धारा लगाई जाती है तो , चोरी की बारदात में जप्ती और गिरफ्तारी में अपराधी की सहूलियत से कार्यवाही की जाती है।
सीधी पुलिस की विवेचना पर हमेसा सवाल खड़े होते रहे हैं अपराधों कीविवेचना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध ही रहती है। सांठ-गांठ मे माहिर सीधी पुलिस को अपराधियों के खिलाफ लगने वाली संगीन धारा को मामूली में बदलने की कला बखूबी आती है। बड़े मामलों को छोटा करने में सीधी पुलिस माहिर हो चुकी है। विवेचना के नाम पर हत्या के प्रयास के मामले को मारपीट में बदलना, चोरी के आरोपियों से जप्ती और गिरफ्तारी में लीपापोती में सीधी पुलिस को महारत हासिल है। जांच में इतनी कमियां होती हैं कि आरोपी बगैर सजा के ही बरी हो जाते है। सीधी पुलिस के भ्रष्टाचार के चलते आम आदमी को पुलिस पर अब विश्वास नहीं है।
शिकायत के बाद जांच पुलिस अधीक्षक सीधी ने आकाश सिंह राजपूत को दोषी मानते हुए 2000₹ के अर्थदंड से दंडित किया गया है। पुलिस अधीक्षक सीधी द्वारा उपरोक्त कार्यवाही 5-10-2021 को की गई। शिकायतकर्ता के नाते बार-बार कार्यवाही की जानकारी एवं की गई। कार्यवाही के प्रति की मांग की जाती रही परंतु दी नहीं गई, जबकी आदेश की प्रतिलिपि में सबंधी को सूचनार्थ का लेख है। सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी बमुश्किल 3 मार्च 22 को प्रदाय की गई।
आकाश सिंह राजपूत का कृत्य अपराधिक के साथ विभाग को कटघरे में खड़ा करने वाला है अतः आकाश सिंह राजपूत को तत्काल बर्खास्त कर जेल भेजा जाए। ऐसा नहीं किए जाने पर न्याय हेतु उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

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